यहां हाथी ने हमला कर दो घरों को तोड़ दिया है. आरोप है कि वन विभाग को इस बात की जानकारी देने के बाद भी बिन्नागुड़ी वाइल्ड लाइफ विभाग के अधिकारी समय पर मौके पर नहीं पहुंचे. इसके अलावा पीड़ितों को न तो कोई मुआवजा ही मिला. स्थानीय लोगों का कहना है कि हाथियों के हमले में करीब आधा दर्जन घर तबाह हो गये हैं, लेकिन वन विभाग ने अब तक किसी को भी मुआवजा नहीं दिया है. इस घटना के विरोध में स्थानीय लोगों ने वन विभाग के बिन्नागुड़ी वाइल्ड लाइफ स्क्वाड के कर्मचारियों को बंधक बना लिया. यह लोग काफी देर बाद जांच के लिए देवपाड़ा चाय बागान पहुंचे थे. वहीं पर गांव वालों ने सभी को जीप समेत बंधक बना लिया. यह लोग काफी देर तक विरोध प्रदर्शन करते रहे. देवपाड़ा चाय बागान के श्रमिक रवि उरांव का कहना है कि पिछले सप्ताह भी हाथियों ने तीन घरों को तोड़ दिया था. आजतक मुआवजे की राशि नहीं मिली है.
वनकर्मी टूटे हुए घरों का फोटो लेकर भी गये थे. सभी पीड़ित खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं. विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने प्रभावित लोगों का घर बना देने की मांग वन विभाग से की है. देर से मौके पर पहुंचने के आरोप पर एक वन अधिकारी शरीफुल इस्लाम ने कहा है कि वह लोग एक और स्थान पर हाथी भगाने गये थे. इसी वजह से देरी हुई. जहां तक मुआवजा देने की बात है, तो वह कार्यालय जाकर अपने उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी देंगे. वन कर्मचारियों ने इसको लेकर ग्रामीणों को भी समझाया. तब जाकर सबको रिहाई मिली. इधर, गोरूमारा वन्य प्राणी स्कॉट की डीएफओ मिशा गोस्वामी ने कहा है कि मुआवजे की रकम आने में देरी हो रही है. इसी वजह से यह समस्या हुई है. वह यथाशीघ्र मुआवजा देने की कोशिश करेंगी. उन्होंने कहा कि वन्य प्राणियों के हमले में यदि किसी की मौत होती है, तो कुछ राशि मौके पर ही दी जाती है. घर तोड़े जाने के मामले में मुआवजा देने में थोड़ी देरी होती है.