सिलीगुड़ी. दुपहिया वाहनों के हेड लाइट दिन में भी जलाने के कानूनी पेंच को लेकर पुलिस जहां हवा में तीर चला रही है वहीं पब्लिक भी असमंजस में है. सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर बाइक चालकों को दिन में भी लाइट जलाने का निर्देश दे रही है. अन्यथा पांच हजार रूपये चलान […]
सिलीगुड़ी. दुपहिया वाहनों के हेड लाइट दिन में भी जलाने के कानूनी पेंच को लेकर पुलिस जहां हवा में तीर चला रही है वहीं पब्लिक भी असमंजस में है. सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर बाइक चालकों को दिन में भी लाइट जलाने का निर्देश दे रही है. अन्यथा पांच हजार रूपये चलान काटने की चेतावनी दी जा रही है. सिलीगुड़ी के सड़कों पर बीते एक अप्रैल से ही हेड लाइट जलते बाइक-स्कूटरों को दौड़ते देखा जा रहा है. वजह सिलीगुड़ी के विभिन्न प्रमुख चौक-चौराहों पर ट्रॉफिक पुलिस व सिविक वोलेंटियर दुपहिया वाहन चालकों को रोककर दिन में भी हेड लाइट जलाने का निर्देश दे रहे हैं.
उनका कहना है कि यह सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है. अगर दिन में हेड लाइट नहीं जलाकर बाइक-स्कूटर चलाते हैं तो कानूनन पांच हजार रूपये का जुर्माना भरना पड़ेगा. सिलीगुड़ी के गांधीनगर निवासी एक बाइक चालक जितेंद्र सिंह का कहना है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा कोई निर्देश जारी किया है तो पुलिस पहले पब्लिक को सुप्रीम कोर्ट का लिखित निर्देश दिखाये.
श्री सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक अप्रैल से नये मॉडल के दुपहिया वाहनों में ऑटोमेटिक ही हेडलाइट जलनेवाले बाइक-स्कूटर चलने का निर्देश जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने यह कहीं भी नहीं कहा है कि पुराने मॉडल के भी बाइक-स्कूटर में भी दिन में हेड लाइट जलाना अनिवार्य है. जब पुलिस ही हवा में तीर चलाकर अफवाह फैला रही है तो पब्लिक भी इसे आग की तरह फैलायेगी ही. आमलोग भी एक-दूसरे की बात सुनकर और देखा-देखी दिन में ही हेड लाइट जलाकर अपने बाइक-स्कूटर सड़कों पर दौड़ा रहे हैं.
डीसीपी ने भी दी सुप्रीम कोर्ट की दुहाइ
सिलीगुड़ी मेट्रोपॉलिटन पुलिस के ट्रॉफिक विंग के डिप्टी पुलिस कमिश्नर (डीसीपी) सुनील यादव ने भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की दुहाइ दी और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ही एक अप्रैल से दुपहिया बाइक-स्कूटर को दिन में भी हेड लाइट जलाकर चलाने का निर्देश जारी किया है. इस लिए अभी से ही दुपहिया चालकों को सतर्क किया जा रहा है. लेकिन अभी तक लिखित ऑर्डर नहीं मिलने की भी बात भी उन्होंने स्वीकार की है. उनका कहना है कि पुराने दुपहिया वाहनों के किस तरह के मॉडलों पर यह कानून लागू होगा जब-तक सुप्रीम कोर्ट का लिखित ऑर्डर नहीं आ जाता तब-तक कुछ भी कह पाना मुश्किल है.