उनका कहना है कि तराई-डुवार्स में समोश और मेची नदी के बीचवाले क्षेत्रों में दुलाराई बोडो समाज से जुड़े तकरीबन पांच लाख से अधिक आबादी है. इनमें 2.50 लाख से अधिक मतदाता हैं. बोरो समाज की अपनी एक अलग भाषा और संस्कृति है.
लेकिन आजतक किसी भी राज्य सरकार ने बोडो समाज के विकास की बात नहीं की. पहले वाम सरकार और अब ममता सरकार बोडो समाज की उपेक्षा कर रही है. श्री साइबो का कहना है कि अभी हाल ही में जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पांच दिवसीय उत्तर बंगाल दौरे पर आयी थी तब दुलाराई बोडो समाज की भाषा और संस्कृति के उत्थान के लिए विकास बोर्ड गठन करने के उद्देश्य से पांच सूत्री मांगों का एक ज्ञापन सौंपा गया था. ममता ने ज्ञापन स्वीकार कर विकास बोर्ड गठन करने का आश्वासन भी दिया था. बाद में एक अप्रैल को कोलकाता में मंत्री अरूप विश्वास ने भी मुलाकात कर आश्वसत किया था.
श्री साइबो का कहना है इससे पहले 2006 और 2011 के चुनावों के दौरान बोरो समाज ने भाजपा को समर्थन किया था. लेकिन भाजपा ने भी पूरे बोरो समाज को केवल राजनैतिक मोहरा बनाया. उन्होंने पूरे बोरो समाज की ओर से सभी राजनैतिक पार्टियों को चेतावनी देते हुए कहा कि अब हमें किसी के भी राजनैतिक साजिश में नहीं आने वाले. अगर चुनाव से पहले बोरो समाज के नाम से ममता सरकार विकास बोर्ड गठन नहीं करती है तो पूरा बोरो समाज चुनाव बहिष्कार करेगा.