श्री मित्रुका का कहना है कि अगर संसद में नया कानून पास हो जाता है तो वकील समाज के लिए कभी भी हक की लड़ाई नहीं लड़ सकेंगे. नये कानून के तहत किसी भी तरह के गंभीर मुद्दों को लेकर वकीलों पर आंदोलन में शिरकत करने और बंद वैगरह का समर्थन करने में पूरी तरह से प्रतिबंध लग जायेगा. श्री मित्रुका का कहना है कि केंद्र सरकार वकीलों और समाज को लोकतांत्रित अधिकार से वंचित करना चाहती है.
वकील समाज का आइना होता है. जो बातें समाज के लोग नहीं कर सकते उन पर एकमात्र वकील ही आवाज बुलंद कर सकते हैं. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि 2015 में सिलीगुड़ी बार एसोसिएशन द्वारा मेट्रोपॉलिटन कोर्ट आदि की मांग को लेकर कई दिनों तक आंदोलन हुआ जिसके तहत कलकत्ता हाइकोर्ट से मजिस्ट्रेट के एक दल मुआयना करने के लिए सिलीगुड़ी पहुंचने को मजबूर होना पड़ा था. उन्होंने बताया कि केंद्र की इस तानाशाही के विरूद्ध चार दिन पहले 23 मार्च को दिल्ली, इलाहबाद व अन्य शहरों में वकीलों ने आंदोलन किया था. आज कलकत्ता बार एसोसिएशन के निर्देश पर पूरे राज्य भर के वकीलों ने केंद्र की मनमर्जी के विरूद्ध आंदोलन किया है. श्री मित्रुका ने बताया कि आज कलकत्ता हाइकोर्ट में दिनभर कामकाज पूरी तरह ठप्प रहा.