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महानंदा नदी पर पक्का पुल बनाने की मांग ने पकड़ा जोर

मालदा. चुनाव से पहले महानंदा नदी पर पक्का पुल बनाने का आश्वासन सभी पार्टी के नेताओं ने दिया, लेकिन आजतक इस आश्वासन को किसी ने भी पूरा नहीं किया है. पहले वाम मोरचा शासनकाल में यहां के तमाम नेता और मंत्री पक्का पुल बनाने की बात कर रहे थे. काम कुछ भी नहीं हुआ. कांग्रेस […]

मालदा. चुनाव से पहले महानंदा नदी पर पक्का पुल बनाने का आश्वासन सभी पार्टी के नेताओं ने दिया, लेकिन आजतक इस आश्वासन को किसी ने भी पूरा नहीं किया है. पहले वाम मोरचा शासनकाल में यहां के तमाम नेता और मंत्री पक्का पुल बनाने की बात कर रहे थे. काम कुछ भी नहीं हुआ.

कांग्रेस के सांसद और विधायक भी चुनाव से पहले पुल बनाने का दावा कर रहे थे. बाद में उन लोगों ने भी आंखें फेर लीं. अब स्थानीय लोगों ने तृणमूल संचालित मालदा जिला परिषद से महानंदा नदी पर पुल बनाने की मांग की है. जिला परिषद के सहकारी सभाधिपति गौड़ मंडल ने कहा है कि चांचल के चन्द्रपाड़ा ग्राम पंचायत इलाके में महानंदा नदी के दोनों ओर बसे गांव के लोगों को आवाजाही करने के लिए पुल की आवश्यकता है.

यह लोग काफी दिनों से पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. वाम तथा कांग्रेस नेताओं ने कभी भी इनकी समस्या दूर करने की कोशिश नहीं की. अब तृणमूल संचालित जिला परिषद इस दिशा में पहल कर रही है. पुल बनाने के लिए राज्य सरकार को एक प्रस्ताव भेजा गया है. उम्मीद है शीघ्र ही इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जायेगी. प्रशासन तथा पंचायत सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चांचल महकमा के चन्द्रपाड़ा ग्राम पंचायत के तीन गांवों में से हुसैनपुर तथा तेलाईगाछी गांव इस पार में है, जबकि महानंदा नदी के उस पार मधाई हाट गांव है. यहां की जनसंख्या करीब 20 हजार है. चांचल आने के लिए इन लोगों को बांस से बने एक अस्थायी पुल से जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ता है. बारिश में परिस्थिति और भी खराब हो जाती है. महानंदा नदी में बाढ़ की वजह से इस पुल का अस्तित्व भी खत्म हो जाता है. तब नौका से आवाजाही करनी पड़ती है.

चांचल में ही एसडीओ ऑफिस, ब्लॉक ऑफिस, थाना, अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, बैंक, बाजार आदि है. इन इलाके के लोगों को हर दिन ही किसी न किसी काम से चांचल आना-जाना पड़ता है. हुसैनपुर गांव के रहने वाले रहमत शेख, मिजानूर अली, साबेह शेख आदि का कहना है कि चुनाव के समय सभी नेता पुल बनाने की बात करते हैं. उसके बाद भूल जाते हैं. मोटरसाइकिल लेकर बांस के पुल से गुजरना मौत के मुंह के सामने से गुजरने के समान है. गांव में पुलिस, एम्बुलेंस, दमकल आदि गाड़ियों के आने की कोई व्यवस्था नहीं है. बच्चों को भी स्कूल-कॉलेज इसी अस्थायी पुल को पार कर जाना पड़ता है. वामो के शासनकाल से ही इस इलाके की उपेक्षा की जा रही है. अब वह लोग राज्य की वर्तमान तृणमूल सरकार से पुल बनाने की मांग कर रहे हैं. चांचल के एसडीओ पुष्पकर राय ने भी कहा है कि उस इलाके में एक पक्का पुल की आवश्यकता है. राज्य सरकार से हरी झंडी मिलते ही काम शुरू कर दिया जायेगा.

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