उन्होंने कहा कि इस तरह हाथ फैलाने से कुछ खास मदद नहीं मिलती, इसलिए वह चाहते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर बेटे के इलाज के लिए फरियाद करें. लेकिन कोलकाता जाने के लिए जो खर्च लगेगा, वह भी उनके पास नहीं है. भीख मांगकर जो पैसा मिल रहा, उसी को जमा करके मुख्यमंत्री के कालीघाट स्थित आवास जाऊंगा.
चांचल महकमा के पुकुरिया थाने की सामसी ग्राम पंचायत के खोंचखाम गांव निवासी गोसान अली पेशे से दिहाड़ी मजदूर हैं. परिवार में पत्नी और तीन लड़के हैं. बड़ा लड़ा मिजारुल शेख और मझला बादल शेख दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. लेकिन छोटा बेटा सलीम अख्तर ट्यूमर की विरल बीमारी से जूझ रहा है. गोसान अली ने बताया कि यह बीमारी जन्म से ही है. जैसे-जैसे बेटी की उम्र बढ़ रही है, उसके शरीर से लटक रहे मासपिंड भी बड़े होते जा रहे हैं. बेटे के इलाज के लिए वह सबकुछ बेच चुके हैं. मालदा मेडिकल कॉलेज से लेकर नर्सिंग होम तक में उसका इलाज करा चुके हैं, पर कोई लाभ नहीं हुआ. कई डॉक्टरों ने सीधा मना कर दिया कि वे इस बीमारी का इलाज करने में सक्षम नहीं हैं. बेटे को मुंबई या चेन्नई ले जाने की सलाह दे रहे हैं. इस पर लाखों का खर्च आयेगा.
गोसान अली ने कहा कि गरीबी के चलते परिवार चलाना ही मुश्किल है, इलाज के खर्च का जुगाड़ कैसे करें. कुछ साल पहले इलाके के लोगों ने अपनी ओर से चंदा करके कुछ पैसा दिया था, लेकिन उससे भी इलाज का खर्च पूरा नहीं हुआ. अब वह भीख मांगकर जो पैसा जमा कर रहे हैं, उससे बेटे को लेकर कोलकाता में मुख्यमंत्री के घर जायेंगे. हमारे जैसे गरीबों को उन्हीं का भरोसा है.
हमारी बातचीत के दौरान ही अस्पष्ट भाषा में सलीम ने कहा कि उसे भूख लगी है. वह कुछ खाना चाहता है. गोसान अली ने भीख में मिले पैसे से पावरोटी और चाय खरीदकर उसे खिलाया. खाते-खाते उसने असहाय भाव से कहा, ‘काकू, मेरी मदद करो, मैं जीना चाहता हूं.’ उसकी मार्मिक पुकार सुनकर कुछ लोगों ने थोड़ा बहुत पैसा देकर सहायता भी की.
इस बारे में पूछे जाने पर जिला मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ दिलीप मंडल ने कहा कि शिशु को देखे बिना बीमारी के बारे में कुछ कहना मुश्किल है. अगर ट्यूमर जैसा कुछ है, तो उसके इलाज की व्यवस्था है. सबसे पहले शिशु को मेडिकल कॉलेज में भरती कराना होगा. इसे बाद बीमारी के बारे में फैसला किया जायेगा.