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डेंगू पर सिलीगुड़ी में और गरमायी राजनीति

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर तथा इसके आसपास के इलाकों में डेंगू के लगातार बढ़ते मामले के बाद इसकी रोकथाम के लिए भले ही कोई कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे हों, लेकिन इसको एक बड़ा मुद्दा बनाकर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा राजनीति करने का क्रम जारी है. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी नगर निगम पर वाम […]

सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी शहर तथा इसके आसपास के इलाकों में डेंगू के लगातार बढ़ते मामले के बाद इसकी रोकथाम के लिए भले ही कोई कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे हों, लेकिन इसको एक बड़ा मुद्दा बनाकर विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा राजनीति करने का क्रम जारी है. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी नगर निगम पर वाम बोर्ड का कब्जा है और इस बोर्ड को अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है. तृणमूल कांग्रेस ने इससे पहले डेंगू को लेकर वाम बोर्ड के खिलाफ आंदोलन किया था.

तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देव के निर्देश पर सिलीगुड़ी नगर निगम के सभी 47 वार्डों में वाम बोर्ड के खिलाफ लगातार एक महीने तक आंदोलन की घोषणा की गई थी. अब तृणमूल के बाद आंदोलन करने की बारी कांग्रेस की है. इसमें सबसे मजेदार तथ्य यह है कि कांग्रेस द्वारा सिलीगुड़ी नगर निगम में वाम बोर्ड के खिलाफ नहीं, बल्कि जिला स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ किया जा रहा है.

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जिला स्वास्थ्य विभाग राज्य सरकार के अधीन है. इसी वजह से राज्य सरकार पर निशाना साधने के लिए कांग्रेस ने स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ आंदोलन शुरू किया है. दार्जिलिंग जिला कांग्रेस की ओर से सिलीगुड़ी इलाके में डेंगू के बढ़ते मामले को लेकर एक रैली निकाली गई और जिले के सीएमओएच को एक ज्ञापन सौंपा गया. इस रैली की अगुवायी कांग्रेस के जिला महासचिव बिमलेश मौलिक कर रहे थे. इस अवसर पर टाउन कांग्रेस अध्यक्ष राजेश यादव के अलावा शाहनवाज हुसैन, तपन पाइन, अयन चौधरी आदि भी उपस्थित थे.

संवाददाताओं से बातचीत करते हुए बिमलेश मौलिक ने कहा कि सिलीगुड़ी शहर में डेंगू से स्थिति भयावह हो गई है. इस बीमारी से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है. जिला स्वास्थ्य विभाग भले ही डेंगू पीड़ितों की वास्तविक संख्या बताने में विफल रहा हो, लेकिन उनके पास जो सूचना है, उसके अनुसार पिछले तीन-चार महीनों में करीब तीन हजार लोगों को यह बीमारी हुई है.

उन्होंने इस क्रम में सरकारी अस्पतालों पर भी निशाना साधा. उन्होंने सरकारी अस्पतालों में डेंगू मरीजों की चिकित्सा सही रूप से नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि डेंगू मरीज जब सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा कराने के लिए जाते हैं, तो उनका डेंगू टेस्ट नहीं कराया जाता है. साधारण बुखार बताकर दो-तीन दिन की दवाई दे दी जाती है. बाद में पता चलता है कि वह रोगी डेंगू से पीड़ित है. घर जाकर उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ जाती है. उसके बाद डेंगू मरीज सरकारी अस्पतालों में जाकर अपनी चिकित्सा कराने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. ऐसे रोगी निजी अस्पतालों का रूख करते हैं. श्री मौलिक ने सीएमओएच से सरकारी अस्पतालों में उचित चिकित्सा व्यवस्था आम लोगों को उपलब्ध कराने की मांग की. ऐसा नहीं होने पर उन्होंने आंदोलन की भी धमकी दी है.

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