सिलीगुड़ी: केन्द्र सरकार द्वारा हजार तथा पांच सौ रुपये के नोट बंद कर दिये जाने की घोषणा के बाद तराई एवं डुवार्स के चाय बागानों में चाय श्रमिकों को वेतन एवं मजदूरी देने में जो परेशानी हो रही है, उसका अभी तक कोई अंत नहीं हुआ है. किसी तरह से कुछ चाय बागानों में वेतन दिये जा रहे हैं. श्रमिकों का कहना है कि चाय बागान क्षेत्र में बैंकिंग व्यवस्था सुदृढ़ नहीं है.
जब तक बैंकिंग व्यवस्था को सुदृढ़ नहीं किया जाता तब तक कैशलेस सिस्टम शुरू करने का कोई औचित्य नहीं है. केन्द्र सरकार ने आनन-फानन में नोटबंदी की घोषणा कर दी है और इसकी कीमत आम लोगों को चुकानी पड़ रही है. श्रमिकों का कहना है कि बैंक से पैसे निकालने में सारा दिन बेकार जायेगा. चाय बागानों से बैंकों की शाखाएं कहीं 10 किलोमीटर तो कहीं 15 किलोमीटर दूर है. पैसा बैंक से लेने के चक्कर में श्रमिकों की एक दिन की दिहाड़ी चली जायेगी.
स्वाभाविक तौर पर चाय श्रमिक संगठनों के नेता भी इस मुद्दे को लेकर परेशान हैं. इन नेताओं ने चाय बागान इलाकों में बैंकिंग व्यवस्था दुरुस्त होने तक नगद में मजदूरी देने की मांग की है. इसको लेकर श्रमिक संगठनों द्वारा कई प्रस्ताव भी राज्य तथा केन्द्र सरकार को दिये गये हैं. श्रमिक संगठनों ने नगद मजदूरी नहीं दिये जाने की स्थिति में आंदोलन की भी धमकी दी है.
इस मुद्दे को लेकर चाय श्रमिकों के विभिन्न ट्रेड यूनियन संगठन को मिलाकर बने संगठन युनाइटेड फोरम के नेताओं की सिलीगुड़ी में एक बैठक हुई इसी बैठक में आंदोलन की रूपरेखा पर विचार किया गया. आंदोलन की शुरूआत 12 तारीख से की जायेगी. आंदोलन के पहले चरण में विभिन्न चाय बागानों के गेट के सामने श्रमिक गेट मीटिंग करेंगे. इसके अलावा 19 दिसंबर को चाय बागानों के निकट स्थित राज्य एवं केन्द्र सरकार के कार्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया जायेगा. ज्वाइंट फोरम के नेता जीआउल आलम का कहना है कि चाय श्रमिकों को पहले से ही काफी कम मजदूरी मिलती है.
ऊपर से बैंक का चक्कर लगाने का निर्देश दिया गया है. डुवार्स के साथ ही विभिन्न चाय बागान इलाकों में कहीं भी बैंकिंग व्यवस्था नजदीक में नहीं है. चाय श्रमिकों को बैंक से पैसे निकालने में कम से कम 10 किलोमीटर दूर का चक्कर काटना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि वह लोग ऑनलाइन वेतन तथा मजदूरी व्यवस्था के विरूद्ध नहीं हैं. ऑनलाइन वेतन देने में कोई परेशानी नहीं है. लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि चाय श्रमिकों को बागान में ही वेतन मिल जाये. जब तक यह व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक पुरानी पद्धति से ही श्रमिकों को वेतन एवं मजदूरी मिलनी चाहिए.