राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत रोगियों के ऑपरेशन की संख्या और बढ़ानी होगी. बैठक में श्री द्विवेदी के अलावा, जिले की एडीएम आर विमला, मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ प्रतीप कुंडू, उप-प्राचार्य डॉ अमित दां, उपाधीक्षक डॉ ज्योतिष चंद्र दास उपस्थित थे. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के सभी 21 विभागों के विभागाध्यक्ष भी बैठक में थे.
समिति की बैठक के दौरान मेडिकल कॉलेज से जुड़े सभी विषयों और समस्याओं पर चर्चा हुई. बराबर यह आरोप लगता रहता है कि चिकित्सक अध्यापक नियमित रूप से उपस्थित नहीं रहते हैं. इसकी वजह से मरीजों का समुचित इलाज नहीं हो पाता. मालदा मेडिकल कॉलेज में अभी 160 चिकित्सक अध्यापक हैं. मेडिकल कॉलेज सूत्रों का कहना है कि यह संख्या जरूरत से अधिक है. लेकिन अधिकतर अध्यपाक दो-तीन की ड्यूटी के बाद गायब हो जाते हैं. श्री द्विवेदी ने कहा कि इस तरह की शिकायतें अब बरदाश्त नहीं की जायेंगी. समीक्षा बैठक के दौरान मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक अध्यापकों ने कहा कि विभिन्न विभागों में ताला खोलने के लिए भी आदमी नहीं हैं, ऐसे में हम लोग कैसे काम करेंगे. जिला अधिकारी ने कहा कि समस्या है, पर इसके बीच ही काम करना होगा. उन्होंने कहा कि जब मेरे पास हलदिया डेवलपमेंट अथॉरिटी की जिम्मेदारी थी तब मेरे दफ्तर में भी कोई ताला खोलने वाला नहीं था. खुद ही ताला खोलकर काम करना होता था. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का अभाव है. इनकी नियुक्ति की कोशिश भी चल रही है.
मेडिकल कॉलेज सूत्रों ने बताया कि टेक्नीशियन और ग्रुप सी के पद खाली पड़े हैं. टेक्नीशियन के 20 पद हैं, लेकिन अभी सिर्फ छह पर नियुक्ति है. ग्रुप डी में कर्मचारियों के 72 पद खाली पड़े हैं. इसी तरह ग्रुप सी के 60 पद खाली हैं. हर विभाग में कम से कम एक टेक्नीशियन, स्टोर कीपर, क्लर्क, ग्रुप डी कर्मचारी व स्वीपर होना चाहिए. लेकिन ज्यादातर विभागों में ये कर्मचारी नहीं हैं. इसकी वजह से समस्या हो रही है. जिला अधिकारी ने आश्वासन दिया कि वह जल्दी ही कर्मचारियों की नियुक्ति की व्यवस्था करेंगे.
जिला अधिकारी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन की क्षमता बढ़ानी होगी. इससे मेडिकल कॉलेज को आमदनी भी होगी. ऐसी व्यवस्था करनी होगी कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत हर महीने कम से कम एक करोड़ रुपये की आय हो. दूसरे मेडिकल कॉलेजों में यह हो रहा है, तो यहां क्यों नहीं होगा.