इसके तहत मजदूरों ने पांच घंटे तक कोई काम-काज नहीं किया. लोडिंग-अनलोडिंग न होने की वजह से दो दिनों के अंदर मालिकों को लाखों का नुकसान सहना पड़ा है. मजदूर पक्ष की मानें तो, मजदूरी को लेकर प्रत्येक दो वर्ष के लिए मालिक पक्ष और मजदूर पक्ष के बीच समझौता होता है. समझौते की मियाद काफी पहले ही समाप्त हो चुकी है.
दोबारा समझौते को लेकर जिला श्रमिक आयोग (डीएलसी)के साथ उनके दफ्तर में मालिक और मजदूर पक्ष के बीच कई दौर की मीटिंग के बावजूद बात नहीं बनी. बीते महीने की 27 जुलाई को डीएलसी के साथ वापस त्रिपक्षीय मीटिंग होनी थी, लेकिन नहीं हुई. आंदोलनकारी मजदूरों का कहना है कि मजदूरी वृद्धि को लेकर मालिक पक्ष जानबूझकर टाल-बहाना कर रहे हैं. जो कभी भी बरदाश्त नहीं किया जायेगा. मालिक पक्ष डीएलसी को अब 18 अगस्त को त्रिपक्षीय मीटिंग करने के लिए चिट्ठी भेजी है. जिसे मजदूर संगठन कभी नहीं मानेगा. प्रदर्शनकारी मजदूरों का कहना है कि यह मीटिंग जल्द-जल्द की जाये और मजदूरी वृद्धि पर आम सहमति बने. अन्यथा हमारा टोकन स्ट्राइक लगातार जारी रहेगा. वहीं मालिकों ने कहा है कि हम मजदूरी वद्धि को लेकर कोई टाल-बहाना नहीं कर रहे. कुछ तथाकथित नेताओं के भड़कावे में आकर मजदूर भाई बेवजह आंदोलन कर रहे हैं.
मालिक पक्षों की ओर से शिव कुमार का कहना है कि गद्दी मालिकों की नयी कमिटी को लेकर 10 अगस्त को चुनाव होना तय है. इसमें व्यस्तता को लेकर ही मालिक पक्ष की ओर से 18 अगस्त को त्रिपक्षीय बैठक करने का निर्णय लिया गया था. रेगुलेटेड मार्केट के फल व सब्जी पट्टी में दो दिनों से जारी बवाल को लेकर तृणमूल कांग्रेस के श्रमिक संगठन रेगुलेटेड मार्केट टेंपरोरी गद्दी वर्कर्स यूनियन के नेता अरूप रतन घोष उर्फ भाई दा को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
मार्केट में उनकी अगुवाई में हुई द्विपक्षीय वार्ता के बाद बात बनी और आंदोलनकारी मजदूरों ने 16 अगस्त के लिए टोकन स्ट्राइक को हटा लिया. मजदूरों ने कल से काम शुरू करने का आश्वासन दिया है. भाई दा का कहना है कि डीएलसी के साथ त्रिपक्षीय वार्ता के लिए मालिक पक्ष 18 अगस्त के बजाय 16 अगस्त को मीटिंग करने के लिए राजी हो गया है. 16 अगस्त की मीटिंग में लिए जानेवाले फैसले का मजदूर इंतजार करेंगे.अगर मजदूरों के हित में फैसला नहीं हुआ, तो मीटिंग के बाद भावी आंदोलन की रणनीति तय की जायेगी.