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राष्ट्रपति पहुंचे दार्जिलिंग, ममता ने किया स्वागत

दार्जिलिंग. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मंगलवार को दार्जिलिंग पहुंच गये. दोपहर 1.40 बजे वह राजभवन पहुंचे. उनके साथ राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी थे. राजभवन के द्वार पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उनके मंत्री और अधिकारी मौजूद थे. ममता बनर्जी ने गुलदस्ता देकर राष्ट्रपति का स्वागत किया. बुधवार को स्थानीय चौरस्ता में आयोजित नेपाली कवि भानुभक्त आचार्य […]

दार्जिलिंग. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मंगलवार को दार्जिलिंग पहुंच गये. दोपहर 1.40 बजे वह राजभवन पहुंचे. उनके साथ राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी थे. राजभवन के द्वार पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उनके मंत्री और अधिकारी मौजूद थे. ममता बनर्जी ने गुलदस्ता देकर राष्ट्रपति का स्वागत किया. बुधवार को स्थानीय चौरस्ता में आयोजित नेपाली कवि भानुभक्त आचार्य के जन्मजयंती समारोह में वह हिस्सा लेंगे.
राष्ट्रपति हवाई मार्ग से दार्जिलिंग आने वाले थे, लेकिन सुबह से ही मौसम खराब होने के कारण वह सड़क मार्ग से यहां पहुंचे. बागडोगरा हवाई अड्डे से सुबह साढ़े दस बजे वह सड़क मार्ग से दार्जिलिंग के लिए निकले. रास्ते में कर्सियांग टूरिस्ट लॉज में करीब एक घंटा उन्होंने विश्राम किया. इसके बाद बाद वह फिर दार्जिलिंग के लिए रवाना हुए. राष्ट्रपति के आगमन को ध्यान में रखकर पूरे रास्ते में और दार्जिलिंग शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये थे. राष्ट्रपति के कार्यक्रम के मद्देनजर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार की शाम को ही दार्जिलिंग पहुंच गयी थीं. वह यहां के सरकारी अतिथिगृह रिचमाउंड हिल्स में रुकी हुई हैं. दोपहर करीब 12.30 बजे झमाझम बारिश के बीच छतरी लगाये पैदल चलकर वह राजभवन पहुंची‍ं. उनके साथ सरकार के मंत्री व अधिकारी भी थे. दोपहर डेढ़ बजे के बाद एक ही गाड़ी में सवार होकर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी राजभवन पहुंचे.
दार्जिलिंग है मिनी इंडिया : राष्ट्रपति
दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र एक सच्चे भारत की तसवीर पेश करता है. यहां विभिन्न जाति और धर्म के लोग मिलकर रहते हैं. यही वजह है कि दार्जिलिंग एक तरह से मिनी इंडिया है. ये बातें राष्ट्रपित प्रणब मुखर्जी ने कहीं. वह दो दिवसीय सरकारी दौरे पर यहां आये हुए हैं. राज्य सरकार की ओर से चौरस्ता में उनके लिए एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया था.
इसी समारोह को संबोधित करते हुए श्री मुखर्जी ने राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की जमकर प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी विकास को महत्व देती हैं और पहाड़ पर विकास के लिए उन्होंने विभिन्न जातियों के लिए विकास बोर्डों का गठन किया है. उन्होंने आगे कहा कि दार्जिलिंग एक प्रमुख पर्यटन स्थल के साथ-साथ मेजजोल का सबसे बड़ा उदाहरण भी है. इस अवसर पर राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अलावा राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी तथा जीटीए प्रमुख विमल गुरूंग भी उपस्थित थे. इस कार्यक्रम का आयोजन राज्य सरकार की ओर से किया गया था और इसमें श्री गुरूंग के उपस्थित होने को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जा रहे थे. नेपाली के आदिकवि भानुभक्त आचार्य की एक सौवीं जयंती के अवसर पर जहां राज्य सरकार ने विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया है, वहीं जीटीए की ओर से अलग से कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. विमल गुरूंग ने इस मौके पर राष्ट्रपति को भगवान बुद्ध की एक प्रतिमा सौंपी. समारोह के बीच ही श्री गुरूंग ममता बनर्जी के पास पहुंचे और उन्हें भी भगवान बुद्ध की प्रतिमा भेंट की. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति को कंचनजंघा पहाड़ की एक तसवीर भेंट की और कहा कि वह चाहती हैं कि प्रणब मुखर्जी बार-बार दार्जिलिंग आयें.

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