इसी दम पर तृणमूल ने उत्तर बंागल में अब तक विपक्ष के कब्जे वाली कइ ग्राम पंचायतों पर कब्जा कर लिया है. तृणमूल के निशाने पर सिलीगुड़ी महकमा परिषद और सिलीगुड़ी नगर निगम है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद पर तो पार्टी की खास नजर है. इस पर कब्जा जमाने के लिये तृणमूल ने रणनीति बना ली है. विकास कार्य में विफल रहने का आरोप लगा कर तृणमूल कांग्रेस वाम मोरचा बोर्ड से इस्तीफा मांगने की तैयारी में है.
इस महीने के अंतिम सप्ताह से जोरदार आंदोलन करने की रणनीति भी बनायी जा चुकी है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद कार्यालय के समक्ष लगातार धरना प्रदर्शन के माध्यम से आंदोलन किये जाने की धमकी दे दी गयी है. करीब आठ महीने पहले राज्य की सत्ताधारी पार्टी को धाराशायी कर वाम मोरचा ने सिलीगुड़ी महकमा परिषद पर कब्जा कर लिया था. इससे पहले कुछ महनी पहले सिलीगुड़ी नगर निगम पर भी वाम मोरचा की जीत हुयी थी. इधर,विकास कार्य करने में नगर निगम और महकमा परिषद दोनों को ही परेशानी हो रही है. मेयर अशोक भट्टाचार्य और सभाधिपति तापस सरकार राज्य सरकार से सहयोग नहीं मिलने और विकास कार्यों के लिए धन नहीं देने का लगातार रोना रा रहे हैं. अशोक भट्टाचार्य ने तो विकास कार्यों में राजनीति नहीं करने और धन देने की अपील को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चिट्ठी तक लिखी है. इस मामले में श्री भट्टाचार्य का कहना है कि पंचायत और नगरपालिकाओं का कामकाज राज्य और केंद्र सरकार की सहायता से ही संभव है. संविधान में ऐसी व्यवस्था है कि राज्य और केंद्र सरकार को नगरपालिकाओं और ग्राम पंचायतों को धन देना ही होगा.इधर,तृणमूल की रणनीति विकास कार्यों में विफल रहने का आरोप लगाते हुए अशोक भट्टाचार्य और तापस सरकार को घेरने की है. लगातार धरना प्रदर्शन के माध्यम से वाम बोर्ड को इस्तीफा देने के लिये मजबूर करने की पूरी तैयारी तृणमूल द्वारा कर ली गयी है.
कार्य ना कर पाने की स्थिति में कुरसी छोड़ देना ही सही है. परिषद के सभाधिपति तापस सरकार अपनी असफलता को स्वीकार करें और पद से इस्तीफा दें. इधर, राज्य सरकार पर पलटवार करते हुए सभाधिपति तापस सरकार ने कहा कि रूपये के अभाव में विकास असंभव है. विरोधी पार्टी जो आरोप वाम बोर्ड पर लगा रही वही सवाल उन्हें राज्य सरकार और मुख्यमंत्री से पूछना चाहिए. उत्तर बंगाल विकास मंत्रालय के एक करोड़ रूपए की मांग किये जाने के वावजूद कुछ नहीं मिला. राज्य सरकार की ओर से कोइ सहायता नहीं की गयी है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद राज्य सरकार से कोई दान नहीं बल्कि हक की मांग कर रही है, अपना हक लेने के लिये सभी प्रकार की कोशिश की जाएगी.
इसबीच,महकमा परिषद सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछले आठ महीने में वाम मोरचा बोर्ड ने तीन करोड़ रूपए से कुछ सड़क एवं नालों आदि की मरम्मत करवायी है. इसके अतिरिक्त अन्य कोई काम नहीं हुआ है. राज्य विधानसभा चुनाव से पहले सिलीगुड़ी महकमा परिषद द्वारा कुछ नयी सड़कों का शिलान्यास किया गयाथा. आर्थिक अभाव की वजह से सभी परियोजनाएं शिलान्यास तक ही सिमित है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद इलाके में कई समस्याए हैं. सड़कों की जर्जर अवस्था ,जल निकासी, गंदगी, हाट बाजारों का ढांचागात विकास, बस स्टैंड सहित अन्य कई कार्य रूके पड़े हैं.