इसके अलावा उत्तर बंगाल में ऐसे बच्चों के भी कइ उदाहरण सामने आये हैं,जिसने तमाम विपरित परिस्थियों के बाद भी इस बार के माध्यमिक परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है़ ऐसा ही उदाहरण जलपाईगुड़ी के सरकारी अनाथाश्रम में रहने वाले अनाथ सिकित मिंज (15) की है़ सिकित अपने तीन भाइयों के साथ इसी अनाथाश्रम में रहता है़ जलपाईगुड़ी हाइ स्कूल के विद्यार्थी सिकित ने माध्यमिक परीक्षा में 307 अंक हासिल किया है़ उसने अपने माध्यमिक परीक्षा पास होने को हाथियों को समर्पित कर दिया है़ प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2003 में वर्तमान अलीपुरद्वार जिले के मधु चाय बागान में सिकित की मां उर्मिला मिंज काम करती थी़ उनके पति महावीर मिंज की मौत वर्ष 2001 में टीबी की बीमारी से हो चुकी थी़ वह मेघालय के एक कोयला खदान में काम करते थे़ वर्ष 2003 के दिसंबर महीने में उर्मिला अपने तीन बच्चों सिकित,विकित और सैकत मिंज को लेकर चाय बागान के अपने क्वार्टर में सोयी हुयी थी़ उसी वक्त हाथी ने हमला कर दिया़ इस हमले में उर्मिला मिंज मारी गयी़ तीनों बच्चे बाल-बाल बच गये़ उस दिन तीनों बच्चे अनाथ हो गये़ रिश्तेदार में भी किसी के नहीं होने की वजह से तीनों बच्चों को जलपाइगुड़ी के सरकारी होम में रखा गया़ तब से लेकर अबतक तीनों बच्चों का ठिकाना यही होम है़ सिकति ने कहा कि इस सरकारी होम में कोइ शिक्षक नहीं है़ पढ़ाइ के लिए होम के ही सीनियरों ने उसका साथ दिया़ उसके स्कूल के शिक्षकों ने भी उसकी काफी मदद की़ सिकित के दोनों भाइयों ने भी यहीं से माध्यमिक की परीक्षा पास की है़ दोनों ने अभी उच्च माध्यमिक की परीक्षा दी है और अभी परीक्षा परिणाम आने का इंतजार कर रहे हैं.
सिकित भी यहीं से उच्च माध्यमिक की परीक्षा देना चाहता है़ सकित ने बताया कि हाथी के हमले ने उसके परिवार का खत्म कर दिया़ मां की मौत के बाद तीनों भाइ अनाथ हो गये हैं. शुरू में तो हाथी का नाम सुनकर ही डर लगता था़ रात को भी हाथी सपने में आते थे़ इसी वजह से उसने अपनी इस सफलता को हाथियों को समर्पित कर रहा है़ उसकी इस सफलता से स्कूल के प्रधानाध्यापक प्रतिभाष बोस ही गर्वित हैं. उन्होंने सिकित की इस सफलता को सलाम किया है़