कूचबिहार: कूचबिहार जिले के नाटाबाड़ी विधानसभा केन्द्र पर इस बार सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि तृणमूल के जिला अध्यक्ष तथा निवर्तमान विधायक रविन्द्र नाथ घोष एक बार फिर से इसी विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला माकपा के पूर्व विधायक तमशेर अली के साथ है. तमशेर अली को कांग्रेस […]
कूचबिहार: कूचबिहार जिले के नाटाबाड़ी विधानसभा केन्द्र पर इस बार सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि तृणमूल के जिला अध्यक्ष तथा निवर्तमान विधायक रविन्द्र नाथ घोष एक बार फिर से इसी विधानसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. उनका मुख्य मुकाबला माकपा के पूर्व विधायक तमशेर अली के साथ है. तमशेर अली को कांग्रेस का भी समर्थन हासिल है. इसी वजह से माना जा रहा है कि इस बार यहां इन्हीं दोनों के बीच कांटे का मुकाबला होगा. हालांकि भाजपा के अली हुसैन इसको त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश में लगे हैं.
नाटाबाड़ी विधानसभा का गठन दिवानहाट, गड़ियाहाटी-1 तथा 2, जिरानपुर, पानीशाला, बलरामपुर-1 तथा 2, चिलखाना-1 तथा 2, देवचरायी, दलपाल-2, मारूगंज, नाटाबाड़ी-1 तथा 2 ग्राम पंचायतों को लेकर हुआ है. यह विधानसभा केन्द्र कूचबिहार लोकसभा सीट के अधीन है. नाटाबाड़ी को कभी लालदुर्ग माना जाता था. 1977 से लेकर 2006 तक लगातार इस सीट पर वाम मोरचा का कब्जा रहा. पहले पांच बार माकपा के शेवेन्द्र नारायण चौधरी यहां से चुनाव जीतते रहे. 2001 में माकपा ने तमशेर अली को टिकट दिया और वह बाजी मार ले गये.
2006 के चुनाव में भी उन्हीं की जीत हुई, लेकिन 2011 के विधानसभा चुनाव में परिवर्तन की आंधी में तमशेर अली उड़ गये. तृणमूल के रविन्द्र नाथ घोष ने उन्हें करीब आठ हजार से अधिक मतों से हराया था. इस बार भी मुख्य मुकाबले में यही दोनों हैं. दोनों उम्मीदवार जोर-शोर से चुनाव प्रचार कर रहे हैं और अपनी-अपनी जीत के दावे भी कर रहे हैं. रविन्द्र नाथ घोष जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को सामने रख उनके द्वारा किये गये विकास कार्यों के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहते हैं, तो वहीं तमशेर अली तृणमूल द्वारा आतंक फैलाने तथा नारदा और शारदा आदि मुद्दे पर उन्हें घेरने की कोशिश में लगे हुए हैं. इन दो उम्मीदवारों को छोड़ दें तो अन्य उम्मीदवारों की स्थिति यहां उतनी दमदार नहीं है. भाजपा के अली हुसैन ने जमकर चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं.
उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम का सहारा है. यहां सबसे अंतिम चरण में पांच मई को मतदान होना है और उससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कूचबिहार में एक चुनावी जनसभा भी करने वाले हैं. अली हुसैन को उम्मीद है कि प्रधानमंत्री की इस जनसभा के बाद चुनावी समीकरण में तेजी से बदलाव होगा. हालांकि 2011 के चुनाव परिणाम को देखें तो उसके अनुसार, भाजपा के लिए खुश होने जैसी स्थिति नहीं है. तब चुनाव जीतने वाले रविन्द्र नाथ घोष ने जहां 81 हजार 951 वहीं उनसे हारने वाले तमशेर अली 74 हजार 386 वोट पाने में सफल रहे थे, जबकि भाजपा उम्मीदवार उत्पल कांति देव मात्र नौ हजार 923 वोट ही ला सके थे. इस बार चुनाव मैदान में इन तीनों को मिलाकर कुछ छह उम्मीदवार हैं. एसयूसीआई की ओर से रजिया बीबी, केपीपीयू की ओर से तपन वर्मन तथा आमरा बंगाली की ओर से बाबला देव भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
2011 का चुनाव परिणाम
रविन्द्र नाथ घोष तृणमूल 81951 वोट
तमशेर अली माकपा 74 386 वोट
उत्पल कांति देव भाजपा 9923 वोट
सिद्दिकुद्दीन बेपारी निर्दलीय 2972 वोट
गिरिन्द्रनाथ वर्मन आरपीआई 1867 वोट
प्रद्युत कुमार दे निर्दलीय 1197 वोट