सिलीगुड़ी. 41 दिनों तक बंद रहने के बाद सिलीगुड़ी में जौहरियों का कारोबार एक बार फिर से गुलजार हो गया है. सिलीगुड़ी में गहनों की सभी दुकानें मंगलवार से खुल गई. इसके साथ ही इन दुकानों में ग्राहकों का आना-जाना भी शुरू हो गया है. हालांकि अभी भी देश के कई भागों में जौहरियों की हड़ताल जारी है. केन्द्र सरकार ने इन लोगों की कोई मांग नहीं मानी है. इसके बाद भी सिलीगुड़ी में जौहरियों ने हड़ताल खत्म करने का निर्णय लिया है. जौहरियों के अनुसार यह निर्णय बंगला नववर्ष ‘पोइला वैशाख’ को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. इस दिन को गहनों के कारोबारी ‘हाल खाता’ भी कहते हैं.उस दिन काफी संख्या में ग्राहक गहनों की दुकानों में आकर खरीददारी करते हैं.
इस बीच, गहनों की दुकानें खुलने से सिलीगुड़ी के मिठाई बिक्रेताओं ने भी राहत की सांस ली है. 14 अप्रैल को पहला बैशाख के मौके पर हाल खाता के दिन गहनों के सभी कारोबारी अपनी दुकानों में मिठाई के पैकेट मंगवाते हैं. दुकानों में खरीददारी के लिए आने वाले ग्राहकों को मिठाई के पैकेट दिये जाते हैं. सिलीगुड़ी शहर में छोटे-बड़े पांच सौ से भी अधिक गहनों की दुकानें हैं. हाल खाता के दिन यह सभी गहनें वाले बड़े पैमाने पर मिठाई मंगवाते हैं. आम तौर पर गहनों के बड़े दुकानों में हजारों की संख्या में गहना खरीदने के लिए ग्राहक आते हैं. छोटे बाजारों तथा कालोनियों में गहनों की जो छोटी दुकानें हैं वहां भी 14 अप्रैल को 200 से अधिक ग्राहक तो आ ही जाते हैं. इन सभी दुकानों में उस दिन मिठाई की भारी मांग होती है. सिलीगुड़ी के विधान मार्केट स्थित मिठाई के एक दुकानदार ने बताया कि जौहरियों की हड़ताल को लेकर वह लोग काफी चिंतित थे. आम तौर पर जौहरियों की हड़ताल से मिठाई दुकानदारों की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन पहला बैशाख के दिन यदि गहनों की दुकानें बंद रही, तो मिठाई कारोबारियों को भी इसका फल भुगतना पड़ता है.
मिठाई दुकानदार ने आगे कहा कि 14 अप्रैल के बाद यदि फिर से गहनों की दुकानें बंद हो जाये, तो उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. इस बीच, सिलीगुड़ी के जौहरियों ने भले ही अपनी दुकानें खोल दी हैं, लेकिन केन्द्र में भाजपा सरकार के प्रति उनके तल्ख तेवर जारी हैं. सिलीगुड़ी के सेठ श्रीलाल मार्केट स्थित एक स्वर्ण कारोबारी रामअवतार वर्मा ने बताया है कि जौहरी कोई भी गैर-वाजिब मांग सरकार से नहीं कर रहे हैं. जौहरियों के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अड़ियल रवैया सही नहीं है.
हड़ताल की वजह से जौहरियों के साथ-साथ आम खरीददार भी परेशान हैं. उसके अलावा केन्द्र तथा राज्य सरकार को भी लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. श्री वर्मा ने कहा कि 41 दिनों तक गहनों की दुकानें बंद रहने से जौहरियों से कहीं अधिक परेशानी आम ग्राहकों को उठानी पड़ी है. शादी-ब्याह के मौसम में गहनों की खरीद के लिए ग्राहक हर दिन उन्हें फोन कर रहे थे. वह चाह कर भी ग्राहकों की मदद नहीं कर पा रहे थे. श्री वर्मा ने कहा कि जौहरियों की हड़ताल अभी खत्म नहीं हुई है. इसे फिलहाल स्थगित रखा गया है. जौहरियों की निगाहें संसद सत्र पर टिकी हुई हैं. 27 अप्रैल से संसद सत्र शुरू होने की संभावना है. उससे पहले जौहरियों की बैठक कोलकाता में होगी. इसी बैठक में आगे की रणनीति तय की जायेगी. इस संबंध में सिलीगुड़ी स्वर्ण ओ रूपो व्यवसायी समिति के अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश सिंहल ने कहा है कि जौहरियों की हड़ताल अभी खत्म नहीं हुई है. देश के कई राज्यों में अभी भी हड़ताल जारी है. एक प्रश्न के जवाब में श्री सिंहल ने कहा कि पिछले 41 दिनों में एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ सिलीगुड़ी में गहनों की दुकानों में करीब 50 करोड़ रुपये से भी अधिक के कारोबार का नुकसान हुआ है. यह स्थिति सिर्फ सिलीगुड़ी शहर की है. अन्य स्थानों को जोड़ लें तो सरकार को कितने राजस्व का नुकसान हुआ होगा, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है.
क्या है मुख्य मांग
पिछले महीने संसद में पेश आम बजट में केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जौहरियों पर एक प्रतिशत अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी लगा दी है. इसके अलावा दो लाख रुपये से अधिक के गहने की खरीद पर पैनकार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है. गहना खरीदने वाले ग्राहकों को दो लाख से अधिक के जेवरात खरीदने पर अपना पैनकार्ड देना होगा. पहले यह सीमा पांच लाख रुपये की थी. जौहरी इन्हीं दोनों प्रावधानों को हटाने की मांग कर रहे हैं.
क्या है समस्या
जौहरियों का कहना है कि वह लोग पहले से ही सरकार को काफी टैक्स देते रहे हैं. टैक्स देने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. इंपोर्ट ड्यूटी पर यदि एक प्रतिशत और टैक्स बढ़ा दिया जाये, तो भी चलेगा. एक प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी बढ़ाये जाने से इंस्पेक्टर राज कायम होगा. कर अधिकारी जौहरियों को परेशान करेंगे. सिलीगुड़ी के प्रमुख जौहरियों में शुमार रामअवतार वर्मा ने कहा है कि पैनकार्ड अनिवार्य करना भी एक बड़ा झंझट है. ऐसा नहीं है कि गहनें सिर्फ अमीर लोग ही खरीदते हैं. बेटी का ब्याह रचाने वाले गरीब लोग भी कहीं से भी पैसे की जुगाड़ कर बेटी के लिए गहने खरीदते हैं. ऐसे लोगों के पास पैनकार्ड ही नहीं होता. यह लोग भला कैसे गहनें की खरीददारी कर सकेंगे. पहले पैनकार्ड अनिवार्य करने की सीमा पांच लाख रुपये की थी. इसी को आगे भी कायम रखा जाना चाहिए था.