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‘बंग रत्न’ चमंग लामा उर्फ विमल दा नहीं रहे
सिलीगुड़ी. जीवन के 91 वसंत देख चुके बंगाल के चर्चित साहित्यकार ‘बंग रत्न’ विमल घोष उर्फ चमंग लामा नहीं रहे. सांस लेने में तकलीफ की वजह से शनिवार को उन्हें सिलीगुड़ी के हाकिमपाड़ा स्थित एक निजी नर्सिंग होम में भरती किया गया था. जहां इलाज के दौरान रविवार को दिन के 11.30 बजे उन्होंने दम […]
सिलीगुड़ी. जीवन के 91 वसंत देख चुके बंगाल के चर्चित साहित्यकार ‘बंग रत्न’ विमल घोष उर्फ चमंग लामा नहीं रहे. सांस लेने में तकलीफ की वजह से शनिवार को उन्हें सिलीगुड़ी के हाकिमपाड़ा स्थित एक निजी नर्सिंग होम में भरती किया गया था. जहां इलाज के दौरान रविवार को दिन के 11.30 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया.
उनकी मौत की खबर फैलते ही सिलीगुड़ी के साहित्य प्रेमियों में मातम छा गया. चमंग लामा के अंतिम दर्शन करने को शुभचिंतक उमड़ पड़े. नर्सिंग होम में दिनभर रिश्तेदारों, साहित्य-संस्कृति प्रेमियों के अलावा नेता-मंत्रियों का तांता लगा रहा. पश्चिम बंग गणतांत्रिक लेखक-शिल्पी संघ के कई प्रतिनिधियों ने नर्सिंग होम पहुंचकर चमंग लामा के पार्थिव शरीर पर श्रद्धासुमन अर्पित किया. संघ के कार्यकारी अध्यक्ष नंद दुलाल देवनाथ ने उनकी मौत पर दुख जाहिर किया और कहा कि साहित्य जगत को बड़ा नुकसान हुआ है. उनमें लेखन शक्ति गजब की थी. वह शनिवार को बीमार पड़ने से पहले तक लिखने में मशगूल थे. उनके कई उपन्यास, कहानी-संग्रह काफी चर्चित हुए.
सिलीगुड़ी नगर निगम में प्रतिपक्ष के नेता नांटू पाल व युवा तृणमूल कांग्रेस के नेता मनोज वर्मा ने भी संवेदना व्यक्त की. श्री पाल ने उनकी आत्मा की शांति एवं इस मुश्किल घड़ी में परिवार को शक्ति देने की कामना की. उन्होंने कहा कि चमंग लामा सिलीगुड़ी ही नहीं, बल्कि पूरे बंगाल के लिए गर्व थे.
इसी 13 जनवरी को उत्तर बंग उत्सव के दौरान राज्य सकार ने उनको ‘बंग रत्न’ से नवाजा था. वाम मोरचा के दार्जिलिंग जिला के संयोजक जीवेश सरकार, निगम में जल आपूर्ति विभाग के मेयर परिषद सदस्य (एमएमआइसी) शरदेंदु चक्रवर्ती उर्फ जय दा एवं ट्रेड लाइसेंस विभाग के एमएमआइसी कमल अग्रवाल ने भी नर्सिंग होम पहुंच कर शोक प्रकट किया.
शाम को चमंग लामा की अंतिम यात्रा 10 नंबर वार्ड के महाकाल पल्ली स्थित उनके निवास से निकली, तो लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. महानंदा नदी के किनारे किरण चंद श्मशान घाट में उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. श्री लामा अपने पीछे दो लड़कों कुंतल एवं अंजन और नाती-पोतों से भरा परिवार छोड़ गये है. उनकी पत्नी गीता का काफी पहले ही निधन हो चुका है.
विमल दा से चमंग लामा बनने की कहानी
विमल दा का जन्म सन 1925 में बांग्लादेश में हुआ था. चाय बगान में नौकरी करने के लिए वह 1950 में सिलीगुड़ी के निकट बत्तासी के सतीश टी एस्टेट पहुंचे. चाय बागान में नौकरी करते हुए वह सेवानिवृत्त हुए. उन्होंने अपने जीवन की दूसरी पारी सिलीगुड़ी में परिवार के साथ व्यतीत की. उनके छोटे लड़के अंजन घोष ने बताया कि चाय बगान में नौकरी करने के दौरान पिताजी अपने उदार और मिलनसार स्वभाव की वजह से नेपाली लोगों व संस्कृति में घुलमिल गये. पिताजी के हंसमुख स्वभाव की वजह से वहां के लोग उनको चमंग लामा नाम से पुकारने लगे. जिसे पिताजी ने भी सहर्ष स्वीकार कर लिया. इतना ही नहीं, पिताजी ने अपने सभी उपन्यासों, कहानी-संग्रहों या अन्य कृतियों को विमल घोष के नाम से नहीं, बल्कि चमंग लामा के नाम से ही प्रकाशित करवाया.
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