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मालदा महाविद्यालय के प्राध्यापक का इस्तीफा
मालदा : परिचालन कमेटी के साथ मतभेद की वजह से मालदा महाविद्यालय के स्थायी प्रध्यापक अब्दुल कलाम मुहम्मद अनारूज्जमान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा मालदा महाविद्यालय परिचालन कमिटी के अध्यक्ष तथा मंत्री कृष्णेंदु चौधरी के पास चपरासी के हाथों भेज दिया. इस मामले में किसी भी प्रकार की बयानबाजी […]
मालदा : परिचालन कमेटी के साथ मतभेद की वजह से मालदा महाविद्यालय के स्थायी प्रध्यापक अब्दुल कलाम मुहम्मद अनारूज्जमान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपना इस्तीफा मालदा महाविद्यालय परिचालन कमिटी के अध्यक्ष तथा मंत्री कृष्णेंदु चौधरी के पास चपरासी के हाथों भेज दिया. इस मामले में किसी भी प्रकार की बयानबाजी से बचते हुए गुरुवार को मंत्री ने बताया कि उन्हें इस्तीफा नहीं प्राप्त हुआ है. मिली जानकारी के मुताबिक, इस्तीफे में प्रध्यापक ने अपने निजी कारणों का उल्लेख किया है.
मालदा महाविद्यालय में वर्ष 1999 से वह काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि कॉलेज सर्विस कमीशन की परीक्षा पास कर वर्ष 2014 के 2 जुलाई को मालदा महाविद्यालय के स्थायी प्राध्यापक के पद पर आसीन हुए. प्राध्यापक का यह पद मेरे लिये इतना कष्टदायी होगा यह समझ नहीं पाये. इधर, मालदा महाविद्यालय के प्राध्यापक के इस्तीफे पर राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बताया कि उन्हें इस्तीफे की जानकारी मिली है.
इससे पहले भी उन्होंने अपने पद से त्यागपत्र दिया था़ राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देशानुसार उनसे अपने पद पर बने रहने का अनुरोध किया गया था. अब अगर कोई व्यक्ति अपने पद पर कार्य ही नहीं करना चाहता तो उन्हें जबरदस्ती कब तक रखा जा सकता है. शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी ने उन पर अयोग्य होने का आरोप लगाया और कहा कि वइ इस पद के योग्य थे ही नहीं. शिक्षा मंत्री के इस तरह के बयान पर मालदा महाविद्यालय परिचालय कमेटी के अध्यक्ष मंत्री कृष्णेंदु चौधरी ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
मालदा महाविद्यालय के प्राध्यापक के इस्तीफे को लेकर शिक्षा जगत में खलबली है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक महाविद्यालय परिचालन कमेटी की बैठक बुलाने को लेकर कमेटी के अध्यक्ष के साथ उनका मतभेद हुआ. इसी वजह से उन्होंने इस्तीफा दे दिया. अपने इस्तीफे पर श्री अनारूज्जमान ने कहा कि उनपर कॉलेज का सर्वनाश करने का आरोप लगा है़
किसने ऐसा आरोप लगाया और दुष्प्रचार किया, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है़ यह आरोप इनके लिये काफी पीड़ादायक है. कॉलेज का दायित्व लेकर ऑनलाइन नामांकन की प्रक्रिया उन्होंने शुरू करवायी. पारदर्शिता के साथ नामांकन प्रक्रिया जारी है और अभी भी खाली सीटें दिख रही हैं.
नामांकन में किसी भी तरह की कोई धांधली नहीं हुई है. महाविद्यालय परिचालन के लिये कई कड़े कदम उठाये थे़ अगर यह महाविद्यालय का सर्वनाश करना है तो इससे अच्छा पद से हट जाना ही उचित है. उन्होंने कहा कि परिचालन कमेटी के अध्यक्ष की अनुमति लेकर ही आठ जनवरी को परिचालन कमेटी की बैठक बुलायी गयी थी.
अचानक एक जनवरी को अध्यक्ष ने लिखित रूप से बैठक को रद्द कर दिया. आठ जनवरी की बैठक बहुत ही महत्वपूर्ण थी़ इसी बैठक में क्लास रूम तैयार करने, बांग्ला विषय में पीजी कोर्स शुरू करने एवं शिक्षकों की कुछ समस्याओं सहित कुल 14 विषयों को लेकर बातचीत होनी थी.
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