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छठ पूजा : बांस भी नहीं बचा महंगाई की मार से

सिलीगुड़ी: दुर्गोत्सव, दीपोत्सव व कालीपूजा की समाप्ति के बाद अब छठ पूजा की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गयी है. छठ पूजा का आगाज 15 नवंबर यानी रविवार को नहाये-खाये से होगा. छठ मैया की पूजा में बांस से निर्मित सूप व डाला का विशेष महत्त्व है. लेकिन अब इनके दाम भी काफी बढ़ गये […]

सिलीगुड़ी: दुर्गोत्सव, दीपोत्सव व कालीपूजा की समाप्ति के बाद अब छठ पूजा की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो गयी है. छठ पूजा का आगाज 15 नवंबर यानी रविवार को नहाये-खाये से होगा. छठ मैया की पूजा में बांस से निर्मित सूप व डाला का विशेष महत्त्व है. लेकिन अब इनके दाम भी काफी बढ़ गये हैं. वजह महंगाई के इस दौर में बांस भी महंगे हो गये हैं, जिसका असर सूप-डाला पर भी पड़ा है. इस साल बांस की कीमत पहले के मुकाबले दो से चार गुना अधिक है. इस वर्ष प्रति बांस की कीमत 150-300 रुपये है. जबकि बीते वर्ष मात्र 80-130 रुपये में एक बांस मिल रहा था.

सूप और डाला बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे देवीडांगा निवासी लालबाबू बांसफोड़ ने कहा कि दाम बढ़ने के बावजूद उचित कीमत वसूल नहीं होती. सूप, डाला बनाने में मेहनत व समय काफी अधिक लगता है. अपने ही घर के आंगन में सूप बनाने में व्यस्त लालबाबू की पत्नी इंदु बांसफोड़ ने कहा कि हमारे जीविकोपार्जन का एक मात्र साधन यही पुश्तैनी धंधा है. उचित आमदनी न होने के बावजूद हमें इस बात पर गर्व है कि हमारे हाथों से बने सूप, डालों से छठ मय्या की अराधना होती है. यही सोचकर बस किसी तरह दिल को तसल्ली मिलती है.

लालबाबू ने बताया कि बांस की कीमत काफी बढ़ गयी है इसलिए उन्हें सूप और डाला की कीमतें भी बढ़ानी पड़ी हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल वह दुकानदारों को सूप 25 से 35 रुपये में दे रहे थे, तो इस बार 50-60 रुपये में दे रहे हैं.

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