सिलीगुड़ी. सिलीगुड़ी महकमा परिषद का चुनाव संपन्न हुए करीब 15 दिन का समय बीतने को है, फिर भी महकमा परिषद, पंचायत समिति तथा ग्राम पंचायतों में बोर्ड गठन को लेकर अब तक ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. चुनाव परिणाम की घोषणा इस महीने की सात तारीख को हो गई है. करीब आठ दिन से अधिक का समय बीत चुका है, फिर भी राज्य सरकार द्वारा बोर्ड गठन के लिए अधिसूचना जारी नहीं की गई है.
राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा बोर्ड गठन की अधिसूचना जारी की जायेगी. वाम मोरचा सहित तमाम राजनीतिक दलों की निगाहें इसी अधिसूचना के जारी होने की ओर टिकी हुई है. एक ओर जहां वाम मोरचा, कांग्रेस तथा भाजपा के नेता यथाशीघ्र अधिसूचना जारी करने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस इसको लेकर चुप्पी साधे बैठी है. हालांकि तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक सक्रियता काफी बढ़ गई है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की करारी हार हुई है, उसके बाद भी पार्टी बोर्ड गठन को लेकर जोड़-तोड़ कर रही है. तृणमूल कांग्रेस के जिला अध्यक्ष तथा उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने नवनिर्वाचित गैर वाम मोरचा सदस्यों से विकास के नाम पर तृणमूल कांग्रेस के बोर्ड गठन में समर्थन की अपील की थी. कुछ दिनों बाद ही उनकी इस अपील का असर होता दिख रहा है.
कांग्रेस के एक नवनिर्वाचित सदस्य चितरंजन राय ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अभी और भी कांग्रेस के कई सदस्य तृणमूल खेमे में जा सकते हैं. कांग्रेस सदस्यों के तृणमूल में शामिल होने के मामले के बाद भाजपा शिविर में भी हड़कंप है. भाजपा ने हालांकि इस बार सिलीगुड़ी महकमा परिषद चुनाव में कोई विशेष सफलता हासिल नहीं की है, लेकिन जितने भी सदस्य जीते हैं, बोर्ड गठन को लेकर उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. सिलीगुड़ी महकमा परिषद के नौ सीटों में से भाजपा को एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई है. हालांकि पंचायत समिति में एक तथा ग्राम पंचायत में 22 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार जीत दर्ज करने में सफल रहे हैं. इस बार कई ग्राम पंचायत तथा पंचायत समिति की स्थिति त्रिशंकु की है. किसी भी पार्टी ने बहुमत हासिल करने में सफलता प्राप्त नहीं की है. ऐसे में भाजपा के ये एक-एक सदस्य काफी महत्वपूर्ण हो गये हैं. भाजपा के जिला महासचिव नंदन दास ने अपने सदस्यों के खरीद-फरोख्त करने का आरोप तृणमूल कांग्रेस पर लगाया है. उन्होंने कहा है कि पार्टी ने दक्षिण बंगाल में जोर-जबरदस्ती कर चुनाव में जीत हासिल की.
उत्तर बंगाल में खासकर सिलीगुड़ी महकमा परिषद चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की जोर-जबरदस्ती नहीं चली और पार्टी की करारी हार हुई. हार के बाद भी तृणमूल कांग्रेस सभी स्थानों पर बोर्ड बनाने की कोशिश में लगी हुई है. यही वजह है कि तृणमूल के नेता कांग्रेस के पंचायत सदस्यों के साथ-साथ भाजपा के भी नवनिर्वाचित सदस्यों से संपर्क साधकर समर्थन देने के लिए कह रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उनके जो सदस्य तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव को नहीं स्वीकार कर रहे हैं, उनको डराया-धमकाया भी जा रहा है.
क्या है स्थिति
यहां उल्लेखनीय है कि चार पंचायत समिति में से दो पंचायत समिति पर वाम मोरचा ने बहुमत हासिल की है. दो पंचायत समिति त्रिशंकु है. यदि भाजपा के एक सदस्य तृणमूल में शामिल हो जाते हैं तो एक पंचायत समिति पर तृणमूल का कब्जा करीब-करीब तय है. 22 ग्राम पंचायतों में से सात पर वाम मोरचा की जीत हुई है, जबकि चार ग्राम पंचायत पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत हासिल की है. 11 ग्राम पंचायत अभी भी त्रिशंकु है. इस बीच, माकपा ने भी इस मुद्दे को लेकर दार्जिलिंग के जिला शासक से शिकायत की है. माकपा नेता जीवेश सरकार का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस जोर-जबरदस्ती ग्राम पंचायतों पर बोर्ड बनाना चाहती है.