मालदा. आम व लीची के उत्पादन के लिए विख्यात मालदा जिले के फूड पार्क में सात सालों में एक भी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नहीं लग पाया है. पिछले दस वर्षों से यह फूड पार्क बन कर तैयार पड़ा है. उद्योग न लगने के लिए मालदा मर्चेंट चेम्बर ऑफ कॉमर्स राज्य सरकार को दोषी ठहरा रहा है.
वर्तमान में चार संस्थाओं ने फूड पार्क में औद्योगिक कारखाना बनाया है. लेकिन अधिकतर संस्थाओं ने जमीन खरीद कर छोड़ रखी है. मालदा फूड पार्क में छोटे-बड़े कुल मिलाकर 35 प्लॉट हैं. इनमें से 25 प्लॉट बिक चुके हैं और 10 प्लॉट अब भी बचे हैं. फूड पार्क के प्रभारी राजशेखर मित्र ने बताया कि मालदा के कुछ व्यवसायी संगठनों ने फूड पार्क की जमीन का मूल्य कम करने का आवेदन राज्य सरकार से किया था.
मालदा शहर के रवींद्र भवन से संलग्न 34 नंबर राज्य सड़क के किनारे 38.12 एकड़ जमीन पर बने इस फूड पार्क का उदघाटन राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने किया था. 33 करोड़ रुपये खर्च कर बनाया गया यह फूर्ड पार्क अब एक बोझ बन गया है. प्रतिमाह बिजली बिल पर डेढ़ लाख रुपये एवं रखरखाव पर साढ़े तीन लाख रुपये खर्च हो रहे हैं. वर्ष 2008 के बाद से फूड पार्क में कोई भी कारखाना नहीं बनाया गया. अब यह फूड पार्क मवेशियों के लिए चरागाह और असामाजिक तत्वों के लिए शराब व जुए का अड्डा बन गया है. इस बारे में मालदा मर्चेंट चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष जयंत कुंडू ने बताया कि जिन व्यावसायिक संस्थाओं ने जमीन खरीदी है वे कारखाना लगाने को लेकर असमंजस में हैं, क्योंकि व्यवसाय के लिए प्रशासन की ओर से किसी भी तरह की कोई सहायता नहीं मिल रही है. बैंकों से कर्ज नहीं मिल रहा है. उत्पादन के बाद बाजार की समस्या भी व्यवसायियों के सामने हैं. इसे लेकर कई बार प्रशासन के साथ बैठक की जा चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. व्यवसायियों का कहना है कि राज्य सरकार अगर जमीन वापस ले ले, तो भी उन्हें कोई ऐतराज नहीं है. वहीं जिला शासक शरद द्विवेदी ने इससे असहमति जताते हुए कहा कि व्यवसायियों के साथ दो बार बैठक की गयी. बैंक से जुड़ी एवं अन्य समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार की ओर से आश्वासन दिये जाने के बावजूद व्यवसायी फूड पार्क में कारखाना लगाने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि जिन व्यवसायियों ने जमीन खरीद कर छोड़ रखी है उनकी जमीन सरकार वापस लेगी. चार व्यवसायियों की जमीन वापस लिये जाने पर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया के लिए फाइल राज्य सचिवालय भेजी गयी है.
फूड पार्क मे जमीन खरीदने वाले एक व्यवसायी राजकुमार गुप्ता ने बताया कि राज्य सरकार की ओर कोई सहायता नहीं मिल रही है. बैंक से कर्ज लेने के लिए जमीन के कागजात चाहिए, जबकि सरकार की ओर से कोई भी कागज नहीं दिया गया है. राज्य के खाद्य विभाग के मंत्री कृष्णेंदु चौधरी ने बताया कि फूड पार्क में उद्योग लगाने का व्यवसायियों का कोई इरादा ही नहीं था. इसी कारण आज तक उद्योग शुरू नहीं हुआ. पिछली सरकार ने व्यवसायियों की कोई सहायता नहीं की. कुछ नये व्यवसायियों ने जमीन खरीदने के लिए आवेदन किया है. फूड पार्क की जमीन का वर्तमान मूल्य 45 लाख रुपये प्रति एकड़ रखा गया है. मंत्री ने बताया कि फूड पार्क में खाद्य प्रसंस्करण का ही उद्योग शुरू करना होगा. उन्होंने विश्वास दिलाया है कि जल्द ही उद्योग में गति आयेगी.