मुख्यमंत्री ने इस बैठक को रूटीन बैठक कहते हुए कहा कि कुछ साल पहले ट्राइबल एडवाइजरी बोर्ड की बैठक कभी-कभी ही होती थी, लेकिन अब छह-छह महीने बाद ट्राइबल एडवाइजरी बोर्ड की बैठक होती है. उन्हांेने कहा कि राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार ने ट्राइबल एडवाइजरी बोर्ड के लिए कई काम किये हैं. राज्य के छह जिलों में ट्राइवल भवनों के निर्माण का काम तीव्र गति से हो रहा है. उन्होंने राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार के कामकाजों की लंबी फेहरिश्त पेश की. इस दौरान उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने 60 साल से ऊपर के चाय श्रमिकों के लिए पेंशन की व्यवस्था चालू की है. उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल के बंद चाय श्रमिकों में दो हजार चाय श्रमिकों को आदिवासी पेंशन दिया जायेगा. राज्य के आदिवासी बहुल छह जिलों में राज्य सरकार आदिवासी भवन तैयार करेगी.
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने आगे कहा कि आदिवासियों के विकास के लिए कई परियोजनाएं तैयार की गयी है. दूसरी ओर बैठक में ट्राइबल एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य तथा आदिवासी विकास परिषद के राज्य अध्यक्ष विरसा तिरकी ने आदिवासी चाय श्रमिकों के लिए जल्द न्यूनतम वेतन कानून चालू करने, बंद चाय बागान खोलने, बानरहाट में हिंदी कॉलेज की स्थापना करने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सामने रखा. इसके अलावा श्री तिरकी ने आदिवासियों की खोयी हुई जमीन पुनरुद्धार करने व हर साल 30 जून राज्य में आदिवासियों का हूल दिवस को पेइड हॉलीडे दिवस घोषित करने की मांग मुख्यमंत्री से की. वही विधायक जोसेफ मुंडा ने चाय बागानों के आदिवासियों को जमीन का पट्टा देने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सामने रखा.
अलीपुरद्वार के सांसद दशरथ तिरकी ने आदिवासियों की आर्थिक -सामाजिक विकास पर और जोर देने कीमांग की. बैठक में राज्य के आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्र के विधायकगण उपस्थित थे. राज्य के मुख्य सचिव संजय मित्र, गृह सचिव बासुदेव बनर्जी, जलपाईगुड़ी के विभागीय कमिश्नर वरुण राय, जीटीए के डिप्टी सीइओ कर्नल रमेश आले आदि उपस्थित थे. बैठक के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जीटीए मुख्यालय लालकोठी का दौरा किया. यहां उन्होंने कर्मचारियों और अधिकारियों से बातचीत भी की. इसके बाद मुख्यमंत्री टाइगर हिले पर पर्यटन की बुनियादी संरचनाओं का जायजा लेने गयी. कल मुख्यमंत्री दार्जिलिंग से बागडोगरा होकर कोलकाता लौट जायेंगी.