इस बैठक में वह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. उन्होंने बगैर किसी पार्टी का नाम लेते हुए कहा कि 90 के दशक में तथा हाल के दिनों में गोरखालैंड आंदोलन के कारण सिलीगुड़ी को काफी नुकसान उठाना पड़ा. इस आंदोलन की वजह से जहां दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र में विकास के काम प्रभावित हुए, वहीं सिलीगुड़ी तथा उत्तर बंगाल भी इससे अछूता नहीं रहा. उन्होंने बताया कि विकास के लिए शांति जरूरी है. अब जबकि सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल में किसी भी प्रकार की अशांति नहीं है, तो ऐसे माहौल में औद्योगिक विकास की गति तेज होनी चाहिए. अब हर जगह शांति है. केएलओ जैसी समस्या भी पूरी तरह से खत्म हो चुका है.
इसके अलावा भारत-नेपाल, भारत-भूटान तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर भी कहीं से कोई गड़बड़ी नहीं हो रही है. व्यवसायियों को इसका लाभ उठाते हुए उद्योग-धंधे के विकास पर जोर देना चाहिए. श्री सिंह ने आगे कहा कि सिलीगुड़ी मुख्य रूप से ट्रेडिंग हब है, जबकि इस क्षेत्र को इंडस्ट्रीयल हब बनाने की जरूरत है. उत्तर बंगाल में उपलब्ध ढांचागत सुविधाओं तथा कच्चे माल की स्थिति के अनुसार उद्योग लगाये जाने चाहिए. उन्होंने उद्योगपतियों से आह्वान करते हुए कहा कि एक ही बार में बड़ी सफलता और भारी मुनाफा कमा पाना संभव नहीं है.
अगर धीरज रखकर व्यवसायी उद्योग स्थापित करें तो आने वाले वर्षो में वह बड़ी सफलता प्राप्त कर सकेंगे. उन्होंने सूरत के एक हीरा व्यवसायी का हवाला देते हुए कहा कि उस व्यवसायी ने 13 सौ रुपये में अपने कारोबार की शुरूआत की थी और आज 6 हजार करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा है. लेकिन इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल करने में उन्हें 50 साल लग गये. इसका मतलब है अगर धीरज से काम लें, तो उद्योगपति उत्तर बंगाल में उद्योग स्थापित कर बड़ा मुनाफा कमा सकते हैं. इस अवसर पर सीआईआई के नये चेयरमैन नरेश अग्रवाल ने अपना पदभार भी ग्रहण किया. उन्होंने पूर्व चेयरमैन प्रवीर शील से अपना पदभार ग्रहण किया. सीआईआई के उप-चेयरमैन रतन कुमार बिहानी ने भी अपनी कुर्सी संभाली. श्री अग्रवाल ने वर्ष 2015 तथा 16 में अपनी प्राथमिकताओं की जानकारी दी. इस अवसर पर बागडोगरा हवाई अड्डे के निदेशक राकेश सहाय, राम गोपाल जाजोदिया, लक्ष्मी लिम्बू कौशल सहित सिलीगुड़ी के जाने-माने व्यवसायी तथा उद्योगपति उपस्थित थे.