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सिलीगुड़ी नगर निगम. 14 को खत्म हो रही है प्रशासक की मियाद, चुनाव को फिर लगा ग्रहण

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी नगर निगम के चुनाव के एक बार फिर से टलने के आसार नजर आ रहे हैं. पिछले वर्ष नगर निगम के बोर्ड भंग होने के बाद से अब तक प्रशासक के माध्यम से काम-काज चलाया जा रहा है. एसजेडीए की सीईओ आर विमला वर्तमान में सिलीगुड़ी नगर निगम की प्रशासक के रूप में […]

सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी नगर निगम के चुनाव के एक बार फिर से टलने के आसार नजर आ रहे हैं. पिछले वर्ष नगर निगम के बोर्ड भंग होने के बाद से अब तक प्रशासक के माध्यम से काम-काज चलाया जा रहा है. एसजेडीए की सीईओ आर विमला वर्तमान में सिलीगुड़ी नगर निगम की प्रशासक के रूप में काम कर रही हैं.

उनकी नियुक्ति पिछले वर्ष सितंबर महीने में छह महीने के लिए हुई थी और यह मियाद 14 फरवरी को खत्म हो रही है. नियमानुसार छह महीने से अधिक समय तक नगर निगम का काम-काज प्रशासक के जरिये नहीं किया जा सकता. ऐसे में स्वाभाविक तौर पर यह प्रश्न उठ रहा है कि एक बार प्रशासक की मियाद खत्म होने के बाद सिलीगुड़ी नगर निगम का भविष्य क्या होगा? राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, राज्य की तृणमूल सरकार छह महीने से अधिक समय के लिए प्रशासक की नियुक्ति नहीं कर सकती. प्रशासक की नियुक्ति को आगे जारी रखने के लिए विधानसभा से अनुमोदन लेना होगा.

ऐसे में सिलीगुड़ी नगर निगम के सामने कई प्रकार की कानूनी जटिलताएं भी आ रही हैं. इस संबंध में तृणमूल कांग्रेस का कोई भी नेता खुलकर कुछ भी नहीं कह रहा है. हालांकि उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव ने कहा है कि इस मामले को नगरपालिका विभाग द्वारा देखा जा रहा है. जो भी निर्णय लेना होगा, वह नगरपालिका विभाग द्वारा ही लिया जायेगा. यहां उल्लेखनीय है कि सिलीगुड़ी नगर निगम पर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने संयुक्त रूप से बोर्ड का गठन किया था. साढ़े चार वर्ष की अवधि के दौरान दोनों ही पार्टी कभी एक साथ रहे तो कभी अलग-अलग हो गये. कांग्रेस नेता गंगोत्री दत्ता जब मेयर थी, तब उन्होंने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर असहयोग का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था और बोर्ड भी भंग कर दिया था. तब से लेकर अब तक सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव अधर में लटका हुआ है. प्रशासक के जरिये सिलीगुड़ी नगर निगम का काम-काज संचालित हो रहा है. इस बीच, विपक्ष ने सिलीगुड़ी नगर निगम में प्रशासक की मियाद बढ़ाने की कोशिश का विरोध किया है. विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोरचा खोल दिया है. माकपा ने तो इसको लेकर आंदोलन की भी शुरूआत कर दी है.

माकपा नेता अशोक भट्टाचार्य ने कहा है कि राज्य सरकार एक बार फिर से प्रशासक की मियाद बढ़ाने की कोशिश कर रही है और इसका वह लोग विरोध करेंगे. उन्होंने इस मामले में कोर्ट जाने की भी धमकी दी है. इतना ही नहीं, सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव शीघ्र कराने की मांग को लेकर उन्होंने 14 फरवरी से ही आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि सिलीगुड़ी में नगर निगम में चुने हुए बोर्ड के नहीं होने के कारण नागरिक सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. जन प्रतिनिधि के अभाव में आम लोगों को अपना काम कराने क लिए सिलीगुड़ी नगर निगम का कई बार चक्कर काटना पड़ता है. इससे आम लोग परेशान हो रहे हैं.

दूसरी तरफ भाजपा ने भी तृणमूल सरकार पर हमला बोला है. भाजपा के महासचिव नंदन दास ने कहा है कि वह प्रशासक की मियाद बढ़ाने की किसी भी प्रकार की कोशिश का विरोध करेंगे. उन्होंने राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव कराने की डर रही हैं.

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं एवं मंत्रियों के विभिन्न घोटालों में शामिल होने के कारण पार्टी की स्थिति काफी डावाडोल हो गई है. यही कारण है कि तृणमूल सरकार हार के डर से चुनाव कराने से भाग रही है. श्री दास ने इसके साथ ही सिलीगुड़ी नगर निगम का चुनाव शीघ्र कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि सिलीगुड़ी नगर निगम क्षेत्र के 47 वार्डो में नागरिक सेवाओं की स्थिति काफी विकराल हो गई है. पेयजल आपूर्ति के साथ-साथ साफ-सफाई का काम बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. श्री दास ने भी चुनाव शीघ्र नहीं होने की स्थिति में आंदोलन करने की धमकी दी है.

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