सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी हिंदी हाईस्कूल फॉर बॉयज का विवाद गहराता जा रहा है. स्कूल प्रबंधन कमेटी के खिलाफ विद्यार्थियों के बाद अब शिक्षक भी आंदोलन के मूड में हैं. सिलीगुड़ी जर्नलिस्ट क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान शिक्षकों ने 6 फरवरी यानी शुक्रवार से स्कूल के सामने एसएफ रोड में लगातार धरना-प्रदर्शन करने की जानकारी दी.
शिक्षकों का कहना है कि अगर धरना-प्रदर्शन से भी बात नहीं बनती है, तो हमारा आंदोलन भूख हड़ताल में तब्दील हो जायेगा और इसके लिए जिम्मेवार पूरी तरह स्कूल प्रबंधन कमेटी के अलावा शासन-प्रशासन होगा. आंदोलनकारी शिक्षकों के अगुवा नेता जयराज गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों की दाखिला प्रक्रिया को लेकर स्कूल प्रबंधन कमेटी के मनमानी शुल्क वसूले जाने के कारण विद्यार्थियों का भविष्य अधर में अटका पड़ा है. बीते एक महीने से न तो स्कूल में विद्यार्थियों की भर्ती की जा रही है और न ही पठन-पाठन ठीक ढंग से हो रहा है. श्री गुप्ता ने कहा कि स्कूल प्रबंधन कमेटी इसे भाषाई अल्पसंख्यक मान्यता प्राप्त स्कूल का हवाला देती है, जबकि स्कूल जिला निरीक्षक (डीआइ, एसइ) इसे सरकारी स्कूल का दर्जा देते हैं.
इस दोहरी बातों का खामियाजा विद्यार्थियों, शिक्षकों व कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. भर्ती प्रक्रिया को लेकर पिछले दिनों प्रशासन के साथ एक बैठक हुई, जिसमें सरकारी निर्देशानुसार 240 रुपये भर्ती शुल्क विद्यार्थियों से लिये जाने का निर्णय लिया गया. इसके बावजूद अगले दिन ही स्कूल प्रबंधन कमेटी के सचिव भगवती प्रसाद डालमिया ने स्कूल क्लर्क को एक पत्र देकर चेतावनी दी थी कि अगर कमेटी द्वारा निर्धारित भर्ती शुल्क विद्यार्थियों से नहीं ली जाती है, तो स्कूल को होने वाली नुकसान की पूरी जिम्मेदारी क्लर्क की होगी और पूरा भुगतान उन्हें ही भरना पड़ेगा. यह पत्र देख क्लर्क ने स्कूल आना ही छोड़ दिया और विद्यार्थियों की भर्ती प्रक्रिया आज तक नहीं हो रही.
साथ ही उन्होंने प्रबंधन कमेटी पर शिक्षकों के साथ भी र्दुव्यवहार करने का आरोप लगाया. श्री गुप्ता ने बताया कि शिक्षकों को वेतन कटौती करके दी जाती है. साथ ही बकाया बिल भी रोक दिया गया है. इतना ही नहीं, प्रबंधन कमेटी ने पिछले दिनों दो अस्थायी शिक्षक लाइब्रेरियन नंद किशोर यादव व खेल प्रशिक्षक सौरभ दुबे को बिना किसी वजह स्कूल छोड़ देने की नोटिस जारी कर दी. दोनों ही शिक्षक बीते 10-12 सालों से स्कूल में कार्यरत हैं. श्री गुप्ता ने बताया कि बीते साल 22 अगस्त से न तो स्कूल में हेडमास्टर है न ही टीचर इंचार्ज और अब तो विद्यार्थी भी नहीं हैं. स्कूल का न तो कोई गाजिर्यन है और न ही इसका कोई सदस्य. श्री गुप्ता ने कहा कि अब शिक्षकों को केवल प्रबंधन कमेटी ही नहीं, बल्कि शासन-प्रशासन व अभिभावकों का भी र्दुव्यवहार सहन करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि इन सभी समस्याओं को लेकर कई बार शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उत्तर बंगाल विकास मंत्री गौतम देव, दार्जिलिंग लोकसभा के सांसद एसएस अहलूवालिया, सिलीगुड़ी के विधायक डॉ रूद्रनाथ भट्टाचार्य, स्कूल से जुड़े सभी सरकारी अधिकारियों को अवगत कराया गया. लेकिन आज तक समस्या सुलझी नहीं, बल्कि और उलझती जा रही है. आज मीडिया के सामने शिक्षकों ने स्कूल प्रबंधन कमेटी व शासन-प्रशासन को धमकी देते हुए कहा है कि अगर अब भी समस्याओं को जल्द सुलझाया नहीं गया, तो वृहत्तर आंदोलन से वे पीछे नहीं हटेंगे.
स्कूल प्रबंधन कमेटी अपनी रणनीति पर अडिग
स्कू ल प्रबंधन कमेटी अपनी रणनीति पर ही अडिग नजर आ रही है. कमेटी के सचिव भगवती प्रसाद डालमिया से संपर्क करने कोशिश की गयी लेकिन संपर्क नहीं हो सका. कमेटी के प्रवक्ता सीताराम डालमिया का साफ कहना है कि कमेटी सरकारी व कोर्ट के नीति-निर्देश का पालन करते हुए स्कूल का संचालन करती आ रही है और करना चाहती है, लेकिन बाहरी असामाजिक तत्वों के बहकावे में आकर कुछ शिक्षक, अभिभावक व विद्यार्थी आये दिन स्कूल में बेवजह हंगामा कर शिक्षा का माहौल खराब कर रहे हैं. कमेटी पर लगाये जा रहे अनियमितता के आरोप पूरी तरह निराधार हैं. अपने मांगों के लिए कोई आंदोलन करता है तो वह उसका मौलिक अधिकार है. कमेटी किसी के भी आंदोलन में कोई रोड़ा नहीं डालेगी.