सिलीगुड़ी: सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के तहत भक्तिनगर थाना पर अधिकार जताने को लेकर इन दिनों सिलीगुड़ी तथा जलपाईगुड़ी का राजनैतिक पारा गरम है. सिलीगुड़ी के लोग जहां भक्तिनगर थाने पर अपना दावा कर रहे हैं, वहीं जलपाईगुड़ी के लोग किसी भी कीमत पर भक्तिनगर थाने को जलपाईगुड़ी जिला पुलिस से अलग होते नहीं देखना चाहते.
यही कारण है कि सिलीगुड़ी तथा जलपाईगुड़ी के लोगों के बीच तना-तनी बढ़ गई है और दोनों ही शहर के लोग इस मुद्दे को लेकर लामबंद हो गये हैं. जलपाईगुड़ी जिले से अलग कर जब अलीपुरद्वार जिले का गठन हुआ था तब सिलीगुड़ी के लोगों को लग रहा था कि भक्तिनगर थाने पर सिलीगुड़ी का कब्जा रहेगा और इस थाने में हुए मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी अदालत में होगी, क्योंकि अलीपुरद्वार जिले के गठन के समय भक्तिनगर थाने को न तो जलपाईगुड़ी जिले में और न ही अलीपुरद्वार जिले के अधीन रखा गया. अविभाजित जलपाईगुड़ी जिले में कुल 17 पुलिस थाना था. जिला बंटवारे के समय आठ थाना अलीपुरद्वार जिले को जबकि आठ थाना जलपाईगुड़ी जिले के अधीन कर दिया गया. एक बचे हुए थाने भक्तिनगर किसी भी जिले के अधीन नहीं कर इस मामले में बाद में निर्णय लेने की घोषणा की गई. उसके बाद ही सिलीगुड़ी के लोगों को लगने लगा कि अब भक्तिनगर थाना इलाके मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी कोर्ट में ही होगी. भक्तिनगर थाना ऐसे तो सिलीगुड़ी मेट्रोपोलिटन पुलिस कमिश्नरेट के अधीन है, लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इस थाने में दर्ज मामले की सुनवाई जलपाईगुड़ी कोर्ट में होती है.
ऐसा उदाहरण राज्य में कहीं दूसरे जगह उपलब्ध नहीं है. कोलकाता, हावड़ा, बैरकपुर, बिधाननगर आदि पुलिस कमिश्नरेट के तहत जो भी थाने पड़ते हैं, उसके मामले की सुनवाई उसी इलाके के कोर्ट में होती है. भक्तिनगर थाना अपने आप में एक अपवाद है. सिलीगुड़ी के लोगों का कहना है कि भक्तिनगर थाने के अंदर करीब तीन लाख की आबादी पड़ती है. सिलीगुड़ी पुलिस कमिश्नरेट के तहत यह सबसे बड़ा थाना है. दुर्भाग्य से इस थाने में दर्ज मामले की सुनवाई थाने से दो किलोमीटर दूर सिलीगुड़ी कोर्ट में न होकर 50 किलोमीटर दूर जलपाईगुड़ी कोर्ट में होती है. यह अपने आप में हास्यास्पद भी लगता है. थाना दाजिर्लिंग जिले के अधीन और सुनवाई किसी दूसरे जिले जलपाईगुड़ी में होती है. इस तकनीकी समस्या के कारण पुलिस वाले भी काफी परेशान हैं.
क्या कहते हैं नागरिक मंच के नेता
सिलीगुड़ी वृहत्तर नागरिक मंच ने इस मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दी है. मंच के सलाहकार समिति के सदस्य सोमनाथ चटर्जी ने कहा है कि सिलीगुड़ी की आबादी काफी तेजी से बढ़ रही है. राज्य सरकार ने यहां पुलिस कमिश्नरेट तक का गठन कर दिया है. ऐसे में भक्तिनगर, नक्सलबाड़ी, गेट बाजार, फाफड़ी, बहू बाजार, फांसीदेवा आदि इलाके को मिलाकर अलग से सिलीगुड़ी जिले का गठन होना चाहिए. श्री चटर्जी ने कहा कि दाजिर्लिंग को अब जिला बनाकर रखे जाने का कोई औचित्य नहीं है. दाजिर्लिंग में अब जिलाधिकारी की भी जरूरत नहीं है. जिलाधिकारी को वहां से हटाकर सिलीगुड़ी को अलग से जिला बनाना चाहिए. श्री चटर्जी ने कहा कि दाजिर्लिंग पर्वतीय क्षेत्र के तीनों महकमा दाजिर्लिंग, कर्सियांग तथा कालिम्पोंग में काम-काज की जिम्मेदारी जीटीए की है. राज्य सरकार ने इसके लिए जीटीए का गठन पहले ही कर दिया है. ऐसे में वहां डीएम के रहने का कोई औचित्य नहीं है. श्री चटर्जी ने सिलीगुड़ी को अलग से जिला बनाने की मांग को लेकर आंदोलन करने की भी घोषणा की.
टकराव के आसार बढ़े
इस बीच, इस थाने के अधिकार क्षेत्र को लेकर सिलीगुड़ी तथा जलपाईगुड़ी के बीच इन दिनों टकराव जोरों पर है. जलपाईगुड़ी कोर्ट के वकील तथा आम नागरिक जहां इस थाने को अपने अधीन बनाये रखने के लिए आंदोलन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सिलीगुड़ी के वकीलों तथा आम लोगों ने भी मोरचा खोल दिया है. सिलीगुड़ी के वकीलों ने सोमवार से काम बंद आंदोलन की घोषणा की है. इधर, इस तना-तनी के बीच सिलीगुड़ी को दाजिर्लिंग जिले से अलग कर नया जिला बनाने की मांग ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है.
पुलिस अधिकारी का क्या है कहना
भक्तिनगर थाने के एक अधिकारी ने बताया कि किसी भी अपराधी को पकड़ कर सुनवाई के लिए 50 किलोमीटर दूर जलपाईगुड़ी कोर्ट ले जाना पड़ता है. इस काम में जहां समय की बर्बादी होती है, वहीं आवाजाही में पुलिस को खर्च भी अधिक करना पड़ता है. उस समय तो स्थिति काफी विकट हो जाती है, जब किसी कुख्यात अपराधी को भारी सुरक्षा इंतजामों के बीच जलपाईगुड़ी कोर्ट लेकर जाना पड़ता है. उस अधिकारी ने आगे कहा कि यदि इस थाने के अधीन दर्ज मामले की सुनवाई सिलीगुड़ी कोर्ट में होती, तो यह काफी बेहतर होता.