सिलीगुड़ी/जलपाईगुड़ी. मजदूरी वृद्धि को लेकर चाय श्रमिकों व बागान मालिकों के बीच मंगलवार से टकराव शुरू हो गया है. 23 विभिन्न ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच (ज्वाइंट एक्शन कमेटी) द्वारा मंगलवार से आहूत 48 घंटे की चाय बागान हड़ताल का पहला दिन असरदार रहा. उत्तर बंगाल के सभी चाय बागानों में कोई काम-काज नहीं हुआ.
बागानों में सुबह से ही सन्नाटा पसरा था. मजदूरी वृद्धि को लेकर मालिक पक्ष के साथ बात न बनने पर श्रमिकों को हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ा. कल यानी बुधवार को उत्तर बंगाल में 12 घंटे की आम हड़ताल के समर्थन में ज्वाइंट एक्शन कमेटी के बैनरतले आज सिलीगुड़ी में रैली भी निकाली गयी. कमेटी के प्रवक्ता व सीटू नेता समन पाठक ने कहा कि चाय बागानों में 48 घंटे की हड़ताल का पहला दिन असरदार रहा. किसी भी बागानों में कोई काम-काज नहीं हुआ. उन्होंने कल की आम हड़ताल को भी सफल बनाने के लिए लोगों से मजदूरों के हक के लिए समर्थन करने की अपील की. संयुक्त मंच को समर्थन कर रहा नक्सली संगठन सीपीआइ (एमएल) के केंद्रीय कमेटी के नेता अभिजीत मजूमदार ने कहा कि बागान मालिक मजदूरों का शोषण कर रहे हैं. मजदूरों को न्यूनत वेतन देने को तैयार नहीं हैं. सरकार भी मालिक पक्ष का सहयोग कर रही है.
मजदूरों का वेतन व मजदूरी बढ़ाने को लेकर सरकार व मालिक दोनों ही गंभीर नहीं हैं.समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार ने मात्र दिखावे के लिए कई बार बैठकें की. हर बार ही बातें नहीं बनीं. चाय बागान मालिकों के असहयोगात्मक रवैये के कारण ही स्थिति जस की तस बनी हुई है. श्री मजूमदार ने कहा कि मजदूरी वृद्धि न बढ़ने एवं मजदूरों के हक व अधिकार के लिए ही हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा कि हम हर हाल में मजदूरों को उनका उचित हक दिलाकर रहेंगे. चाय बागान मालिकों के संगठन तराई इंडियन प्लांटर्स एसोसिएशन (टीपा) की ओर से राजा दास ने कहा कि चाय श्रमिकों की मांगें मानना संभव नहीं है. उनकी मांगें नाजायज हैं.
उन्होंने वेतन तथा मजदूरी वृद्धि समस्या के लिए संयुक्त मंच पर ही पलटा वार किया. श्री दास ने कहा कि जब तक संयुक्त मंच अपना अड़ियल रवैया नहीं छोड़ेगा, तब तक समस्या का समाधान होना असंभव है. उन्होंने कहा कि मजदूरों की मजदूरी कितनी बढ़ानी है इसे लेकर संयुक्त मंच के विभिन्न संगठनों में ही एकमत नहीं है. किसी संगठन के नेता प्रतिदिन 206 रुपये तो कोई 322 रुपये प्रतिदिन मजदूरी बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि चाय बागानों की स्थिति बद से बदतर है, ऐसे में इतनी मजदूरी बढ़ाना कतई संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि मालिक पक्ष तीन वर्ष में 30 रुपये बढ़ाने के लिए राजी हैं. वही तृणमूल कांग्रेस ने ज्वाइंट एक्शन कमेटी की हड़ताल के पहले दिन को मिला-जुला बताया. तृणमूल टी प्लांटेशन वर्कर्स यूनियन के केंद्रीय कमेटी के कार्यकारिणी अध्यक्ष आलोक चक्रवर्ती ने कहा कि तराई-डुवार्स के अधिकांश चाय बागानों में श्रमिकों ने कामकाज किया. साथ ही उन्होंने तराई क्षेत्र के सिलीगुड़ी के निकट अटल चाय बागान में तृणमूल समर्थित श्रमिकों पर हमला किये जाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि जब बागान में श्रमिक काम करने जा रहे थे, तब विरोधियों ने श्रमिकों को बाधा पहुंचाने की कोशिश की. उन्होंने ज्वाइंट एक्शन कमेटी पर खुद के फायदे के लिए श्रमिकों के आड़ में ओछी राजनीति कर रहे हैं. ज्वाइंट एक्शन कमेटी का यह आंदोलन चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है.
क्या कहते हैं श्रमिक
चाय श्रमिक पवन व उसकी पत्नी मीना ने बताया कि आज उनलोगों ने बागान इलाके में धान काटने का काम किया. वहां से उन्हें दिन में 200 से 250 रुपये मिल जायेंगे. कई चाय श्रमिकों को आज शहर में जाकर मिस्त्री व मजदूरी का काम करते देखा गया. चाय श्रमिक संगठन के वरिष्ठ नेता चित्त दे ने बताया कि चाय बागान के श्रमिकों के हित में हड़ताल का एलान किया गया है. आज का बंद पूरी तरह से सफल हुआ है. दूसरी ओर, तृणमूल के श्रमिक संगठन आइएनटीयूसी के जिलाध्यक्ष मिठु मोहंत ने बताया कि बंद से किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता है. बंद से क्षति तो चाय श्रमिकों की ही होती है. नयी सरकार सत्ता में आने के बाद बंद चाय बागान खुलने से लेकर विभिन्न विकासमूलक काम किये हैं. तृणमूल बंद का तीव्र विरोध करती है. उन्होंने दावा किया कि आज जिले के अधिकांश चाय बागानों में ही काम हुआ है
क्या है समस्या
गौरतलब है कि चाय श्रमिकों की मजदूरी समझौता मामले में राज्य सरकार ने कई त्रिपक्षीय बैठक की, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. इसलिए राज्य सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने 12 नवंबर को दिल्ली में चाय श्रमिकों की मजदूरी समझौता पर त्रिपक्षीय बैठक का आह्वान किया. केंद्रीय श्रम मंत्रलय के नियंत्रणाधीन कमेटी ऑफ ट्राईपाराइट मीटिंग फॉर टी प्लांटेशन वर्कर्स (सीटीएनटीपीडब्ल्यू)ने पश्चिम बंगाल के चाय उद्योग के श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करने के लिए इस बैठक का आह्वान किया है. सिर्फ पश्चिम बंगाल ही नहीं असम, त्रिपुरा व दक्षिण भारत के कई राज्य के श्रम दफ्तर के अधिकारी, मालिक प्रबंधन व श्रमिक यूनियन नेता भी बैठक में शामिल होंगे. मालूम हो कि, श्रमिकों के वेतन तथा मजदूरी संबंधित समझौता 31 मार्च 2014 को ही खत्म हो गया है. उसके बाद विभिन्न चाय बागानों को नये समझौते के अनुसार श्रमिकों को वेतन तथा मजदूरी देनी चाहिए थी, लेकिन इस मामले में चाय बागान प्रबंधन टालमटोल का रवैया अपनाये हुए हैं. इस समस्या के समाधान में न तो राज्य सरकार और न ही केन्द्र सरकार ने कोई दिलचस्पी दिखायी है. 1 अप्रैल 2014 से ही नये वेतनमान निर्धारित करने को लेकर राज्य के श्रम विभाग के साथ चाय श्रमिक संगठनों, कॉर्डिनेशन कमेटी, डिफेंस कमेटी, युनाइटेड टी वर्कर्स फ्रंट के नेताओं की कई बार बैठक हुई.वर्तमान में चाय श्रमिकों को 95 रुपये दैनिक मजदूरी मिल रही है. मालिक पक्षों ने त्रिपक्षीय बैठकों में अतिरिक्त 37 रुपये बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था, जबकि श्रमिक यूनियनों की ओर से 200 रुपये से भी ज्यादा मजदूरी देने की मांग की जा रही है.