सिलीगुड़ी : दो संगठनों के अहं की लड़ाई में फंसी दो महीने की ‘अनन्या’ को अब शीघ्र ही नया ठिकाना मिलने वाला है. जन्म के बाद से ही ‘अनन्या’ सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के सिस्टर रूम में रह रही है. चार सितंबर को संभवत: किसी कुंवारी मां ने जन्म देने के बाद उस नवजात बच्ची को लेक टाउन इलाके में फेंक दिया था, जहां से न्यू जलपाईगुड़ी आउट पोस्ट की पुलिस ने उसे बरामद कर सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में भरती करा दिया था. प्राथमिक चिकित्सा के बाद नन्ही‘अनन्या’ स्वस्थ हो गयी, लेकिन कोई उसे लेने नहीं आया.
अस्पताल के नर्सो ने सिस्टर रूम में उसके रहने का इंतजाम किया और नर्सो ने ही उसे ‘अनन्या’ नाम दिया. इस आशय की खबर ‘प्रभात खबर’ में 4 नवंबर को प्रकाशित होने के बाद एसडीओ दीपाप प्रिया पी ने पूरे मामले की जांच का आदेश दिया. जांच का जिम्मा डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर मृणाल घोष को सौंपा गया. मृणाल घोष ने पूरे मामले की जांच कर एसडीओ को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें नन्ही ‘अनन्या’ को स्वस्थ बताते हुए तीनधरिया स्थित मिशनरी ऑफ चैरिटी के शांति भवन में भेजने की सिफारिश की गयी है. इस संबंध में बातचीत करते हुए श्री घोष ने बताया कि एसडीओ का निर्देश मिलने के बाद वह सिलीगुड़ी जिला अस्पताल गये और पूरे मामले की जांच की. उन्होंने कहा कि बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है और उसके पुनर्वास की जरूरत है. जुबेनाइल जस्ट्सि एक्ट 2000 में इस बात का साफ प्रावधान है कि छह वर्ष तक के किसी भी बच्ची या बच्चे के स्वस्थ होने के बाद उसके पुनर्वास की जिम्मेदारी सरकार की है.
वह बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है और जिला अस्पताल से उसके स्वस्थ होने संबंधी प्रमाणपत्र मिलने के बाद ही उसे दाजिर्लिंग जिले के तीनधरिया स्थित स्पेशलाइज्ड एडोप्शन सेंटर शांति भवन तीनधरिया भेज दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार यदि कोई किसी बच्चे पर अपना दावा नहीं ठोकता है, तो उसे तत्काल पुनर्वास केंद्र भेजने की आवश्यकता है. सिर्फ अहं के कारण उसे अस्पताल में रोके रखा नहीं जा सकता. यही नियम ‘अनन्या’ पर भी लागू होता है. ‘अनन्या’ पर अब तक किसी ने अपना दावा नहीं किया है. श्री घोष ने कहा कि दो-तीन दिनों के अंदर ही अनन्या को तीनधरिया भेजने की व्यवस्था की जायेगी. उल्लेखनीय है कि इस वर्ष 4 सितंबर को सिलीगुड़ी के लेकटाउन इलाके के कुछ लोगों ने एनजेपी आउट पोस्ट पुलिस को फोन करके एक नवजात बच्ची के पड़े होने की जानकारी दी थी. उसके बाद एनजेपी पुलिस की पेट्रोलिंग टीम ने उस बच्ची को वहां से बरामद कर सिलीगुड़ी सदर अस्पताल में भर्ती कर दिया. कुछ दिनों बाद ही बच्ची स्वस्थ हो गई, लेकिन उसको कोई अपनाने वाला नहीं था. तब से लेकर यह बच्ची सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में ही पड़ी हुई है.
पुलिस का कहना है कि बच्ची को किसी कुंवारी मां ने जन्म दिया है और उसे अपनाने से इंकार कर दिया. नियमानुसार बच्ची के स्वस्थ होने के बाद उसे चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंप दिया जाना चाहिए था. इस प्रकार के बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की है.लेकिन सिलीगुड़ी जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अमिताभ मंडल तथा चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अहम् की लड़ाई में नन्हीं अनन्या की जिंदगी फंस गई थी. खासकर डॉ. अमिताभ मंडल के अड़ियल रवैये के कारण स्थिति बिगड़ गई थी.