बालुरघाट: देश की आजादी के इतने साल बीत गए हैं, लेकिन अभी भी दक्षिण दिनाजपुर जिले के 20 हजार बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. जिले में चाइल्ड लेबर स्कूलों में वर्तमान में दो हजार बाल श्रमिकों के पठन-पाठन की ही व्यवस्था है. जिला श्रम विभाग के अनुसार, जिले में और भी बाल श्रमिक स्कूलों की आवश्यकता है. इस मामले में केंद्रीय श्रम विभाग को कई पत्र भेजे जाने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला. इसके अलावा जिला श्रम दफ्तर ने हिली में एक रेसिडेंशियल चाइल्ड लेबर स्कूल शुरू करने के लिए राज्य श्रम दफ्तर से आवेदन किया है.
जिला श्रम विभाग सूत्रों के अनुसार, मार्च 2012 में जिले में बाल श्रमिकों की संख्या जानने के लिए एक सर्वे किया गया था. जिसमें पता चला था कि जिले में 21 हजार बाल श्रमिक हैं. दूसरी ओर जिले के आठ ब्लॉकों में बाल श्रमिकों के पढ़ने के लिए 40 स्कूल हैं.
इन स्कूलों में 50-50 कर दो हजार बाल श्रमिक अध्ययनरत हैं. विगत दो सालों में बाल श्रमिक विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है. हिली में रेसिडेंशियल चाइल्ड लेबर स्कूल स्थापित होने पर और भी कई बाल श्रमिक पढ़ाई-लिखाई कर पायेंगे व यहां रह पायेंगे. हालांकि इससे भी समस्या का समाधान नहीं होगा. जिले में अभी भी कई बाल श्रमिक हैं, जिन्हें जीवन की मुख्यधारा में लौटाने की परियोजना विफल हो रही है.
क्या कहते हैं लेबर कमिश्नर
जिले के एसिसटेंट लेबर कमिश्नर चंदन बनिक ने बताया कि जिले में बाल श्रमिक स्कूलों की संख्या ज्यादा नहीं है. इसी लिए ज्यादा बाल श्रमिकों को स्कूल लाना संभव नहीं हुआ है. बाल श्रमिकों की संख्या घटाने के लिए और भी स्कूल चाहिए. स्वयंसेवी संगठन के को-ऑर्डिनेटर सुरज दास ने बताया कि जिले में काफी संख्या में बाल श्रमिक हैं. इन्हें जीवन की मुख्यधारा में लौटाने के लिए और भी स्कूलों की आवश्यकता है.