सिलीगुड़ी: एक बार फिर रफ्तार के कहर ने पांच वर्षीय एक बच्ची की जान ले ली. हादसे के बाद आक्रोशित लोगों ने चार घंटे तक रास्ता जाम कर हंगामा किया. बच्ची के शव को सड़क पर रखकर जोरदार प्रदर्शन किया गया.
जहां प्रदर्शनकारियों ने तीन ट्रकों में तोड़-फोड़ की, वहीं टोल टेक्स काउंटर को आग के हवाले कर दिया. हादसे के बाद घटनास्थल से कुछ दूरी पर एक गली में बजरी लदे ट्रक को छोड़ कर चालक फरार हो गया. हादसे की सूचना पाते ही पुलिस उपायुक्त (डीसीपी, ट्राफिक) श्याम सिंह व प्रधान नगर थाना के इंस्पेक्टर तपन भट्टाचार्य दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे और उत्तेजित माहौल को नियंत्रित करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. यह दर्दनाक हादसा आज सुबह करीब साढ़े आठ बजे सिलीगुड़ी के चम्पासारी स्थित काली मंदिर के नजदीक घटित हुई. इस हादसे में पांच वर्षीय बच्ची प्रियंका मंडल की मौत मौके पर ही हो गई. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रियंका अपनी माँ आलसी देवी मंडल के साथ सड़क पार कर रही थी उसी दौरान मिलन मोड़ से सिलीगुड़ी की ओर काफी तेज रफ्तार में जा रही बजरी लदा एक ट्रक (डब्ल्यूबी 74 डी/0246) अनियंत्रित हो गया और प्रियंका को रौंद डाला.
स्थानीय न्यू पोकाईजोत निवासी व सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में फल मंडी में मजदूरी करने वाले प्रियंका के पिता बिन्देश्वर मंडल ने बताया कि महीने भर पहले ही प्रियंका का सरकारी स्कूल में नामांकन करवाया था. बिन्देश्वर की चार लड़कियों में प्रियंका सबसे छोटी थी. वहीं प्रदर्शनकारियों ने पुलिस प्रशासन से पीड़ित परिवार को क्षतिपूर्ति एवं मिलन मोड़-चम्पासारी रूट पर दिन के बजाय रात में भारी वाहनों के परिचालन की मांग की. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि इससे पहले भी बजरी लदे ट्रकों के कारण इस इस रूट पर कई हादसे हो चुके हैं. प्रशासन से कई बार इस रूट पर दिन में भारी वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने की गुजारिश की गई, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. पुलिस आयुक्त श्याम सिंह के आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारियों ने दोपहर करीब बारह बजे सड़क को जाम मुक्त किया. श्री सिंह ने बताया कि ट्रक को जब्त कर लिया गया है, लेकिन चालक फरार है. जल्द ही आरोपी चालक को भी गिरफ्तार कर लिया जायेगा.
बच्ची के शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल भेज दिया गया है. खबर लिखे जाने तक घटनास्थल पर तनाव व्याप्त था. पुलिस के जवान इलाके में गश्ती लगा रहे हैं.यहां उल्लेखनीय है कि इस रास्ते पर 10 चक्का वाहनों का काफी खौफ है. हर दिन ही सैकड़ों गाड़िया गुलमा से बालू पत्थर लेकर इसी सड़क से काफी तेज रफ्तार से गुजरती है. पिछले एक वर्षो में कई लोग इन्हीं ट्रकों की चपेट में आकर मारे जा चुके हैं. स्थानीय लोगों ने कई बार इन ट्रकों को दिन में चलने पर रोक लगाने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया और प्रशासन से भी गुहार लगायी,लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.