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पांचवें अनुसूचित जनजाति अधिनियम समेत अन्य मांगों के समर्थन में आंदोलन शुरू, सड़क पर उतरे आदिवासी

बालुरघाट/रायगंज : पांचवें अनुसूचित जनजाति अधिनियम को लागू करने समेत नौ सूत्री मांगों के समर्थन में आदिवासियों ने राज्य स्तर पर आंदोलन छेड़ दिया है. संगठन की राज्य कमेटी की तरफ से पूरे राज्य में सड़क अवरोध के कार्यक्रम किये जा रहे हैं. उत्तर दिनाजपुर जिले के अलावा दक्षिण दिनाजपुर में भी इस आंदोलन का […]

बालुरघाट/रायगंज : पांचवें अनुसूचित जनजाति अधिनियम को लागू करने समेत नौ सूत्री मांगों के समर्थन में आदिवासियों ने राज्य स्तर पर आंदोलन छेड़ दिया है. संगठन की राज्य कमेटी की तरफ से पूरे राज्य में सड़क अवरोध के कार्यक्रम किये जा रहे हैं. उत्तर दिनाजपुर जिले के अलावा दक्षिण दिनाजपुर में भी इस आंदोलन का असर पड़ा है.
सोमवार की सुबह छह बजे से हिली थाना क्षेत्र के त्रिमोहिनी में तीर-धनुष और भाले लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग-512 को जाम कर दिया. इस कार्यक्रम में संगठन के 100 से अधिक सदस्य थे. इस वजह से बहुत सी दूरगामी बसें रोक देनी पड़ी.
हिली के निकट बालुरघाट के हिली मोड़, पतिराम, बंशीहारी, पाथरघाटा, गंगारामपुर, कुशमंडी और तपन में आदिवासियों ने विरोध प्रदर्शन के साथ पथावरोध किये. भारत जाकात माझी परगना महल के जिलाध्यक्ष रमेश चन्द्र सोरेन ने कहा कि हमलोग अपनी मांगों को लेकर कटिबद्ध हैं. जब तक हमारी मांगें नहीं मानी जाती, तब तक यह आंदोलन चलेगा.
सोमवार को रायगंज शहर के सिलीगुड़ी मोड़ संलग्न राष्ट्रीय राजमार्ग-34 और राज्य सड़क नंबर 10 को जाम कर दिया. लंबे समय तक सड़क जाम रहने से यात्रियों और वाहन चालकों को काफी परेशानी उठानी पड़ी. यह आंदोलन भारत जाकात माझी परगना महल के नेतृत्व में किया जा रहा है. जानकारी मिलने पर रायगंज थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई थी. हालांकि खबर लिखे जाने तक सड़क जाम खुला नहीं था.
भारत जाकात माझी परगना महल के सूत्रों के अनुसार आंदोलनकारी संथाली भाषा के शिक्षकों की नियुक्ति, इच्छुक सभी आदिवासी शिक्षकों को संथाली माध्यमिक के स्कूलों में स्थानांतरित करने, संथाली भाषा के पाठ्यक्रम की पुस्तकों की आपूर्ति और बुनियादी संरचना की व्यवस्था को लागू करने के साथ ही संविधान में उल्लेखित पांचवें अनुसूचित जनजाति अधिनियम को लागू करने की मांग कर रहे हैं.
आज सुबह 10 बजे से आदिवासियों का आंदोलन जारी है. संगठन के नेता बापी सोरेन ने बताया कि आदिवासी शिक्षक समाज और सरकारी कर्मचारी संथाली भाषा से वंचित हो रहे हैं. संविधान में उल्लेख रहने के बावजूद पांचवां अनुसूचित जनजाति अधिनियम आजतक लागू नहीं हुआ. अगर इन मांगों पर विचार नहीं होता है, तो सड़क अवरोध आगे भी किया जायेगा.

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