जानकारी मिली है कि गोरूमारा के जंगल में गैंडों की संख्या में काफी इजाफा हो गया है. इधर इस जंगल में घासवाली जमीन सिर्फ 10 से 12 वर्ग किलोमीटर है. लेकिन इस जमीन पर गैंडे के साथ ही लगभग डेढ़ हजार बाइसन, सैकड़ों सांभर, हिरण और घास खानेवाले अन्य प्राणी निर्भर हैं. इससे इनके भोजन में कमी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है. भोजन की तलाश में हाथी से लेकर गैंडे तक रिहायशी इलाके में दाखिल हो रहे है. इस कारण से इन्सानों के साथ संघर्ष में इन जगंली पशुओं एवं इनसानों की मौत हो रही है.
बीते कुछ समय में गोरूमारा जंगल के तीन गैंडों की मौत हो चुकी है. कुछ दिनों पहले दो गैंडा गोरूमारा से निकलकर महानंदा के जंगल में छिप गये थे. इनमें से एक को तस्करों ने मार डाला एवं दूसरे को बंगाल सफारी पार्क भेजा गया है. अब एक और गैंडे के लाटागुड़ी जंगल में आश्रय लेने से वनाधिकारियों के माथे पर शिकन पड़ गयी है. क्योंकी लाटागुड़ी जंगल से नेवड़ा नदी पार करते ही रिहायशी इलाका है. इससे पहले भी कई बार इस रास्ते से गेंडे रिहायशी इलाकों में दाखिल हुए हैं.