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जानकारी की कमी से जवानों की होती है मौत

सिलीगुड़ी. सीमा सुरक्षा बल के एडीजी (मेडिकल) केएल रसकरण उत्तर बंगाल दौरे पर हैं. बीते तीन दिनों से वे उत्तर बंगाल फ्रंटियर के अंतर्गत अस्पतालों का जाएजा ले रहे हैं. लड़ाई से अधिक बीएसएफ के जवान बीमारी व हादसों में मारे जाते हैं. हादसों के दौरान व कुछ बीमारियों में फौरन किए जाने वाले प्राथमिक […]

सिलीगुड़ी. सीमा सुरक्षा बल के एडीजी (मेडिकल) केएल रसकरण उत्तर बंगाल दौरे पर हैं. बीते तीन दिनों से वे उत्तर बंगाल फ्रंटियर के अंतर्गत अस्पतालों का जाएजा ले रहे हैं. लड़ाई से अधिक बीएसएफ के जवान बीमारी व हादसों में मारे जाते हैं. हादसों के दौरान व कुछ बीमारियों में फौरन किए जाने वाले प्राथमिक उपचार की जानकारी के अभाव में जवानों की जान चली जाती है. जबकि पिछले कुछ वर्षो में बीएसएफ ने कुछ प्रयोग किये हैं. बीएसएफ के सभी जवान, कर्मचारी व उनके परिवार वालों को भी प्राथमिक उपचार के कई गुर सिखाये जा रहे हैं. उसी सिलसिले में एडीजी मेडिकल केएल रसकरण उत्तर बंगाल दौरे पर आये हैं.

मंगलवार की शाम बीएसएफ कैंप सालूगाड़ा में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में 403, 2015 में 442, 2016 में 458 और इस वर्ष अब तक 320 जवानों की मौत हुयी है. इनमें से अधिकांश की मौत हर्ट अटैक, हादसे व अन्य बीमारियों से हुयी है. इन आकंड़ो को कम करने के लिए हम पिछले कुछ वर्षों से प्रयासरत हैं. जिसमें सफलता भी मिली है.

सभी जवानों, बीएसएफ कर्मचारियों, व उनके परिवार वालों को कुछ प्राथमिक उपचार की जानकारी देकर उन्हें प्रशिक्षत किया जा रहा है. ताकि समय पर उसका उपयोग कर जवानों की जान बचायी जा सके. हार्ट अटैक के बाद का पांच से दस मिनट का समय काफी महत्वपूर्ण होता है. यदि उस समय मरीज को एस्प्रिन की गोली या सीपीआर दी जाए तो मरीज की जान बच सकती है. लेकिन सीपीआर की जानकारी के अभाव में ऐसी घटना घट जाती है. इसीलिए बीएसएफ के सभी जवान व उनके परिवार वालों को सीपीआर तथा अन्य बीमारियों व हादसों के समय किये जाने वाले प्राथमिक उपचार की जानकारी दी जा रही है. श्री रसकरण ने आगे बताया कि राज्य में अस्पतालों की कमी है. बीएसएफ के पास भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. उसे दूर करने के प्रयास लगातार जारी हैं. हम सीमित संसाधन में बेहतर सेवा प्रदान कर रहे हैं.

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