गले में पोस्टर व हाथों में बैनर लिये विद्यार्थियों ने सुबह 8 बजे से 11 बजे तक पूरे मालदा में घूम-घूमकर विरोध जताया. विश्वविद्यालय के उप-कुलपति (वीसी) सहित प्रबंधन पर विभिन्न मामलों में भष्टाचार का आरोप लगाते हुए विद्यार्थियों ने इस मामले में मुख्यमंत्री एवं शिक्षामंत्री के हस्तक्षेप की मांग की है.
विद्यार्थियों का आरोप है कि जब इन मुद्दों को लेकर वे वीसी गोपालचन्द्र मिश्र से मिलने जाते है तो उनकी बातों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है. विद्यार्थियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन के मनमाने रवैये के लिए अल्पसंख्यक, कन्याश्री सहित कई स्कॉलरशिप से भी वे वंचित हो रहे है. राज्य सरकार द्वारा चालू स्वामी विवेकानंद नामांकित नॉन-नेट, नॉन-गेट स्कॉलरशिप से भी विद्यार्थीगण वंचित हो रहे हैं. इस साल जून महीने में चौथा सेमेस्टर खत्म होना था, लेकिन वह अबतक खत्म नहीं हो पाया है. जिससे बीएड या एमफिल जैसे कोर्स में छात्रा-छात्राओं का दाखिला नहीं हो रहा है.
आंदोलनकारी विद्यार्थियों का यह भी आरोप है कि मेधा सूची को नहीं मानते हुए आर्थिक लेन-देन के सहारे विश्वविद्यालय में दाखिला हो रहा है. 2015-16 शिक्षा वर्ष में कुल सीटों से अधिक विद्यार्थियों का दाखिला कराने के पीछे भी आर्थिक लेन-देन ही कारण रहा है. उनलोगों का कहना है कि गौड़बंग विश्वविद्यालय का सर्टिफिकेट देने के लिए 1200 रुपए लिये जाते हैं, जबकी खर्च सिर्फ 34 रुपया आता है. विश्वविद्यालय का रिपोर्ट कार्ड पाने के लिए भी 100 रुपये का भुगतान करना पड़ता है. ऐसे ही कई आर्थिक घोटालों का उदाहरण पेश करते हुए विद्यार्थियों ने यादवपुर विश्वविद्यालय की तर्ज पर मालदा के गौड़बंग विश्वविद्यालय में आन्दोलन की चेतावनी दी है.
मंगलवार को विद्यार्थी ऐसे कई आरोप के साथ गौड़बंग विश्वविद्यालय के उप कुलपति से मिलने गये, लेकिन वहां न तो वीसी मिले न ही रजिस्ट्रार. पूछने पर पता चला कि वे पिछले 12 अक्टूबर से मालदा में नहीं हैं.