बक्सा जंगल के पानीझोड़ा, बाउनिबस्ती, जयंती, बक्सा फोर्ट आदि इलाकों में 10 प्रतिशत होमस्टे ही इलाकावासियों के हैं. यहां ज्यादातर कंस्ट्रकशन बाहरी कारोबारियों ने करवाया है. इसी कारण एनजीटी ने पर्यावरण को क्षति पहुंचाये जाने के आरोप में इन पर प्रतिबंध लगाया गया है.
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बक्सा जंगल : 13 तक लॉज व होमस्टे बंद करने का नोटिस
अलीपुरद्वार. वन विभाग की ओर से आगामी 13 अक्तूबर तक बक्सा टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके के सभी लॉज एवं होमस्टे को बंद कर देने का नोटिस दिया गया. गत 31 अगस्त को आये नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के फैसले के आधार वन विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र में आनेवाले लॉज व होमस्टे […]
अलीपुरद्वार. वन विभाग की ओर से आगामी 13 अक्तूबर तक बक्सा टाइगर रिजर्व और उसके आसपास के इलाके के सभी लॉज एवं होमस्टे को बंद कर देने का नोटिस दिया गया. गत 31 अगस्त को आये नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) के फैसले के आधार वन विभाग ने अपने अधिकार क्षेत्र में आनेवाले लॉज व होमस्टे मालिकों को नेटिस भेजा है. इससे पर्यावरण प्रेमी तो खुश हैं, मगर वन-बस्तीवासियों की आजीविका खतरे में पड़ गयी है.
इस मामले में उत्तर बंगाल वनजन श्रमजीवी मंच के संयोजक लाल सिंह भुजेल ने बताया की एनजीटी का फैसला अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है. इस फैसले से वन-बस्तीवासियों को बड़ा नुकसान होने वाला है. उन्होंने काफी तकलीफ उठाकर अपने घर में दो-तीन कमरे पर्यटकों के लिए बनवाये थे, जिन्हें किराये पर देकर वे अपना परिवार पाल रहे थे. वहीं पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि इसका दूसरा पहलू भी है.
नोटिस का किया विरोध
उत्तर बंगाल वनजन श्रमजीवी मंच के संयोजक लाल सिंह भुजेल का आरोप है कि जिस समय विभिन्न इलाकों से लोग यहां आकर कंस्ट्रकशन करवा रहे थे तब वन विभाग ने चुप्पी साध ली. अब तमाम होमस्टे को बंद करवा देने से गरीब वन-बस्तीवासियों को भूखों मरना होगा. उन्होने कहा कि इसे लेकर सरकार को गाइडलाइन बनानी चाहिए. वन्य प्राणियों की भांति वन-बस्तीवासियों के अधिकार भी सुनिश्चित किये जाने चाहिए. उन्होने इस नोटिस के खिलाफ अदालत में जाने की बात कही है.
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