संयुक्त संघर्ष समिति की विज्ञप्ति के अनुसार, गोरखालैंड राज्य का मसला केवल बंगाल के गोरखाओं की मांग नहीं है, बल्कि यह पूरे भारतवर्ष में रहने वाले गोरखाओं का मुद्दा है. इसीलिए यह सांकेतिक अनशन सभी 29 राज्यों में एक ही दिन किया गया.
अनशन के आयोजन का मकसद गोरखालैंड राज्य गठन के लिए केन्द्र और राज्य सरकार पर दबाव डालने के अलावा गोरखालैंड आंदोलन के लिए शहीद कार्यकर्ताओं की स्मृति में किया गया.विज्ञप्ति के जरिये समिति ने बंगाल सरकार की सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकार हनन करते हुए जनता की आकांक्षाओं को दबाने और केन्द्र सरकार की उपेक्षा के प्रतिवाद में यह अनशन किया गया. विज्ञप्ति को जारी करते हुए समिति के पक्ष से अंजनी शर्मा ने दावा किया है कि दिल्ली के केन्द्रीय कार्यक्रम में प्रमुख राजनैतिक नेताओं, केन्द्रीय मंत्रियों के अलावा आदिवासी और पार्वत्य क्षेत्र के गैर-गोरखा अल्पसंख्यक समुदायों के लोग शामिल हुए.