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किसी को पता नहीं बिमल गुरूंग का ठिकाना

सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य को लेकर जारी आंदोलन का भविष्य चाहे जो हो,लेकिन इतना तय है कि इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग का भविष्य सुरक्षित नहीं है. आने वाले दिनों में उनके सामने दो बड़ी चुनौतियों आ सकती हैं. पहला तो कानून के मकड़जाल से खुद […]

सिलीगुड़ी: दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र में अलग गोरखालैंड राज्य को लेकर जारी आंदोलन का भविष्य चाहे जो हो,लेकिन इतना तय है कि इस आंदोलन की अगुवाई कर रहे गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरूंग का भविष्य सुरक्षित नहीं है. आने वाले दिनों में उनके सामने दो बड़ी चुनौतियों आ सकती हैं. पहला तो कानून के मकड़जाल से खुद को बचाना और दूसरा पार्टी के अंदर ही मिल रही चुनौती के बीच अपना प्रभुत्व बनाये रखना.

पहाड़ पर जारी वर्तमान गोरखालैंड आंदोलन के दौरान : बिमल गुरूंग के खिलाफ राज्य सरकार ने हिंसा और आगजनी को लेकर राष्ट्रद्रोह की धाराओं के अंतर्गत मामले दर्ज किये हैं. साथ ही पुलिस उनकी जोर-शोर से तलाश भी कर रही है. यही वजह है कि वे फिलहाल भूमिगत हैं. वह कहां हैं इसकी जानकारी किसी को नहीं है. उनके पातलेबास स्थित आवास के आसपास स्थित लोगों को भी कहना है कि पिछले दस दिनों से भी अधिक समय से उनको नहीं देखा गया है.

ऐसे यदि पुलिस सूत्रों पर भरोसा करें तो करीब 15 दिनों से भी अधिक समय से वह अंडर ग्राउंड हैं. उनको पकड़ने के लिए उनके संभावित ठिकानों पर छापामारी की जा रही है. माना जा रहा है कि विमल गुरूंग अपने कुछ निकट सहयोगियों के साथ या तो पड़ोसी राज्य सिक्किम अथवा दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र के ही किसी घनघोर जंगल में डेरा जमाये हुए हैं. जानकारों का मानना है कि ऐसी परिस्थिति में उनका बच पाना संभव नहीं है. जब भी कभी उनकी गिरफ्तारी होगी उनका जीवन कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने में ही बित जायेगा. इस बात का एहसास उन्हें है भी.

उन्होंने कल ही अज्ञात स्थान से मीडिया को फोन पर बताया था कि वह जब भी घर लौटेंगे तो या तो अलग गोरखालैंड राज्य लेकर लौटेंगे या उनकी लाश ही घर पहुंचेगी. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि श्री गुरूंग के इस बयान से स्पष्ट है कि उनको अपने भविष्य की परेशानियों का अहसास हो गया है.दूसरी ओर नेताओं और कार्यकर्ताओं से दूर रहने के कारण पार्टी पर भी बिमल गुरूंग की पकड़ ढीली पड़ती जा रही है. यही वजह है कि मोर्चा में अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए बिमल गुरूंग ने अपना हालिया बयान दिया है. इस बयान में उन्होंने परोक्ष रूप से अपने पार्टी के ही कुछ लोगों को निशाना बनाते हुए आरोप लगाया है कि ये लोग उन्हें फंसाने की साजिश रच रहे हैं. लेकिन वह गोरखा जाति से कभी भी गद्दारी नहीं करेंगे. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि श्री गुरूंग ने जो कुछ लोगों की बात कही है, उनमें मोरचा के संयुक्त सह सचिव विनय तमांग ही सबसे बड़ा नाम है. पहाड़ पर वर्तमान में विनय तमांग ही एक मात्र गोजमुमो के बड़े नेता हैं, जो खुलआम अवाजाही कर रहे हैं. अन्य बड़े नेता या तो जेल में हैं या पुलिस से बचने के लिए अंडर ग्राउंड हो गये हैं. रोशन गिरि पहले से ही दिल्ली में जमे हैं.

माना जा रहा है कि वह भी अपनी गिरफ्तारी के डर से दार्जिलिंग वापस नहीं आ रहे हैं. पहाड़ पर गोजमुमो के तमाम आला नेताओं के फोन भी नहीं लग रहे हैं. विमल गुरूंग भी जब मीडिया से बात करते हैं तो तरह-तरह के नंबरों से बात करते हैं. एक बार के बाद दोबारा उस नंबर का अतापता नहीं रहता. ऐसे गोजमुमो के अंदर सबकुछ ठीक नहीं है. पहाड़ पर बंद को जारी रखने को लेकर ही ऐसा लगता है कि मोर्चा के अंदर दो गुट हो गये हैं. पार्टी का बहुमत राज्य सरकार के साथ बातचीत कर पहाड़ में सामान्य जनजीवन लौटाने का प्रयास करना चाहता है. ऐसे समय में बिमल गुरूंग का केवल गोरखालैंड को मुद्दा बनाने की बात केन्द्रीय कमेटी के सदस्य पचा नहीं पा रहे हैं. ऐसी परिस्थिति में पहाड़ पर अटकलों का बाजार गर्म है.कुछ लोगों को जहां यह मानना है कि विनय तमांग पार्टी पर कब्जा कर लेंगे,वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो मानते हैं कि अंडर ग्राउंड रहकर भी पार्टी पर विमल गुरूंग ही पकड़ रहेगी. विमल गुरूंग के समर्थकों का कहना है कि विनय तमांग कभी भी गोजमुमो चीफ नहीं हो सकेंगे.विमल गुरूंग की छवि एक दबंग नेता की है.

जबकि विनय तमांग शांत स्वभाव के माने जाते हैं. पार्टी में ऐसे युवा समर्थकों की संख्या काफी है जो अब गोरखालैंड आंदोलन के लिए आरपार की लड़ाई लड़ना चाहते हैं. ऐसे लोग बिमल गुरूंग के साथ ही रहेंगे.यहां उल्लेखनीय है कि गोरखालैंड राज्य को लेकर आंदोलन दो महीने से ज्यादा समय से चल रहा है. पहाड़ में लोगों की आय के मुख्य स्रोत पर्यटन और परिवहन ठप्प पड़े हुए हैं. स्कूल-कॉलेज बंद हैं. आम लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हो रही है. ऐसे में पहाड़ की जनता जल्द से जल्द बंद से मुक्ति पाना चाहती है. गोजमुमो का वर्तमान नेतृत्व इस तथ्य को अच्छी तरह समझ रहा है.

क्या है विनय तमांग का रिकार्ड
विनय तमांग भी पहले बिमल गुरूंग के साथ ही सुवास घीसिंग की पार्टी गोरामुमो में थे. वर्ष 2007 में विमल गुरूंग ने जब गोरामुमो से अलग होकर गोरखा जनमुक्ति(गोजमुमो) मोर्चा बनायी तो वह श्री गुरूंग के साथ हो गए.वह शुरूआती दिनों में जेल में भी थे. उसके बाद भी वह विमल गुरूंग के साथ ही रहे.विनय तमांग डाली रीषिहाट इलाके से आते हैं और जीटीए के गठन के बाद सूचना और संस्कृति विभाग के प्रभारी भी रहे.वर्तमान में वह गोजमुमो के प्रमुख नेताओं में शुमार हैं. वह मदन तमांग हत्याकांड में भी आरोपी हैं.
क्या कहते हैं विनय तमांग : पहाड़ पर चल रही इन अटकलों के बीच विनय तमांग का कहना है कि वह किसी भी कीमत पर बिमल गुरूंग को चुनौती नहीं दे रहे हैं. गोजमुमो पर कब्जा करने संबंधी बाते अफवाह के सिवाय कुछ भी नहीं है. वह बिमल गुरूंग के कहे बगैर एक कदम आगे नहीं चल सकते हैं. वह हमेशा ही मोरचा सुप्रीमो के साथ थे और आगे भी रहेंगे.

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