यहां उल्लेखनीय है कि इससे पहले सिक्किम में एसडीएम रहे एक आइएएस अधिकारी रवींद्र कुमार सिंह ने एवरेस्ट को फतह किया था. वह दो-दो बार एवरेस्ट फतह कर चुके हैं. अब बारी आइआरएस अधिकारी सुधांशु गुप्ता की है. श्री गुप्ता पर्वतारोहण के प्रशिक्षण में ए ग्रेड हासिल कर चुके हैं. उन्हें शुरू से पर्वतारोहण का कोई शौक नहीं था. वर्ष 2009 में जब वह एक एडवेंचर कैम्प में शामिल होने के लिए दार्जिलिंग आये थे तभी उन्हें पर्वतारोहण का शौक लगा. उन्होंने दार्जिलिंग के इंडियन माउंटेनियरिंग इंस्टीच्यूट में पर्वतारोहण का प्रशिक्षण भी दिया है और ग्रेड ए हासिल कर चुके हैं. तब से लेकर अब तक वह छोटी-बड़ी कई चोटियों को फतह कर चुके हैं.
अब उनका अगला लक्ष्य करीब 85 सौ मीटर ऊंची एवरेस्ट की चोटी है. सोमवार को सिलीगुड़ी डीजल शेड स्थित अपने कार्यालय में एक विशेष बातचीत के दौरान श्री गुप्ता ने कहा कि वह इससे पहले 6 हजार 240 मीटर की ऊंचाई चढ़ चुके हैं. चन्द्रभागा 13 फतह करने में उन्हें सफलता मिली है. पिछले महीने ही वह हिमाचल प्रदेश के मनाली में स्थित चन्द्रभागा पर चढ़ने निकले थे. 8 अगस्त को वह सिलीगुड़ी से रवाना हुए. 15 अगस्त को उन्होंने पहले बेस कैंप बताल में भारत की आजादी का जश्न मनाया. उसके बाद आगे की चढ़ाई पर रवाना हो गये. 17 तारीख को उन्होंने चंद्रभागा पर चढ़ाई प्राप्त कर ली. उन्होंने आगे बताया कि उनकी योजना अगले साल अप्रैल में एवरेस्ट के लिए रवाना होने की है. उसके लिए अभी से ही जोरदार तैयारी कर रहे हैं. इस तैयारी के क्रम में वह नवंबर-दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका जायेंगे. वहां माउंट क्लीमिंगजारो पर चढ़ाई करेंगे. एवरेस्ट फतह से पहले यह उनका एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. इस चोटी पर फतह से उन्हें एवरेस्ट फतह के लिए तैयारियों का मौका मिलेगा.
उन्होंने आगे कहा कि रेलवे के आला अधिकारियों को उनके एवरेस्ट फतह योजना की जानकारी दे दी गई है. पूर्वोत्तर सीमा रेलवे के चीफ मैकेनिकल इंजीनियर अरुण शर्मा उनकी काफी मदद कर रहे हैं. पर्वतारोहण में उन्हें रेलवे से लगातार समर्थन मिलता रहा है. पिछले महीने जब वह चन्द्रभागा पर चढ़ाई के लिए निकले थे तब रेलवे ने उन्हें 18 दिन की छुट्टी दी थी. डीआरएम सीपी गुप्ता भी लगातार उनकी मदद कर रहे हैं. 30 वर्षीय सुधांशु गुप्ता को पर्वतारोहण के अलावा टेनिस का शौक है. वह टेनिस खेलते नहीं, लेकिन इस खेल के प्रति उनकी गहरी रूचि है. उनकी पढ़ाई-लिखाई दिल्ली में हुई और पिछले साढ़े तीन वर्षों से वह सिलीगुड़ी में नियुक्त हैं. उनकी इच्छा एवरेस्ट फतह कर भारतीय तिरंगा के साथ ही रेलवे का झंडा फहराने की है.