लेकिन यह तो ट्रेलर है. आंदोलन नुकसान का आंकड़ा आना अभी बाकी है. आंदोलन समाप्त कर पहाड़ पर पहाड़ पर फिर से शांति बहाली के लिये राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 29 अगस्त को नवान्न में सर्वदलीय बैठक बुलायी है. ब समस्या का समाधान कितना होगा यह तो अभी पता नहीं,लेकिन पहाड़ पर जनजीवन व व्यापार सामान्य होने में वर्षों लगेंगे.
पांच हजार से अधिक चाय श्रमिक काम छोड़कर बैठे हुए है. इसका असर वर्तमान चाय उद्योग पर तो पड़ ही रहा है, अगले वर्ष भी चाय निर्यात में इसका गहरा असर पड़ेगा. बैंक, एटीएम, यातायात बंद होने से व्यापार पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. दूसरी तरफ आंदोलन की आड़ में पुलिस प्रशासन व सेना पर जानलेवा हमले किये गये. हमले में पेट्रोल बम के साथ विस्फोटक का उपयोग किया गया है. सभी पंचायत कार्यालय को तहस-नहस कर दिया गया. कई सरकारी कार्यालय जला कर राख कर दिये गये. कार्यालय के कम्प्यूटर और सरकारी दस्तावेज इस आग में जल गये हैं.
सभी सरकारी रिकॉर्ड खत्म होने से आगामी दिनों में नागरिक सेवा मुहैया कराने में काफी मुश्किल होगी. पहाड़ का विकास करना जीटीए की जिम्मेदारी थी. कई परियोजनाओं के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने आर्थिक आवंटन दिया है. लेकिन जीटीए के सभी कार्यालय व दस्तावेजों के नष्ट होने से यह परियोजनाए अगले कई वर्षों के लिए ठप हो गयी है. इस नुकसान के लिए पहाड़ के आम नागरिक भी जिम्मेदार हैं. 29 अगस्त को पहाड़ पर पुन: शांति बहाल करने के लिए राज्य सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलायी है. दूसरी और पहाड़ पर हमलों की जांच करायी जा रही है. इन वारदातों में शामिल होने वाले के खिलाफ कार्यवाई के लिए लगातार अभियान जारी है.