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आंदोलन से कई साल पीछे गया पहाड़ : जिला अधिकारी

सिलीगुड़ी. पिछले दो महीने से जारी गोरखालैंड आंदोलन ने पहाड़ को कई वर्ष पीछे धकेल दिया है. आंदोलन की वजह से पहाड़ पर पिछले दो महीने से बाजार, सभी सरकारी कार्यालय, बैंक, एटीएम, स्कूल, कॉलेज सब कुछ बंद है. पहाड़ के लोग खाद्य संकट से परेशान हो रहे हैं. दवा, इलाज, यातायात आदि समस्या उनके […]

सिलीगुड़ी. पिछले दो महीने से जारी गोरखालैंड आंदोलन ने पहाड़ को कई वर्ष पीछे धकेल दिया है. आंदोलन की वजह से पहाड़ पर पिछले दो महीने से बाजार, सभी सरकारी कार्यालय, बैंक, एटीएम, स्कूल, कॉलेज सब कुछ बंद है. पहाड़ के लोग खाद्य संकट से परेशान हो रहे हैं. दवा, इलाज, यातायात आदि समस्या उनके सब्र का इम्तिहान ले रही है.

लेकिन यह तो ट्रेलर है. आंदोलन नुकसान का आंकड़ा आना अभी बाकी है. आंदोलन समाप्त कर पहाड़ पर पहाड़ पर फिर से शांति बहाली के लिये राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 29 अगस्त को नवान्न में सर्वदलीय बैठक बुलायी है. ब समस्या का समाधान कितना होगा यह तो अभी पता नहीं,लेकिन पहाड़ पर जनजीवन व व्यापार सामान्य होने में वर्षों लगेंगे.

पिछले दो महीने से अलग राज्य गोरखालैंड आंदोलन ने पहाड़ के जनजीवन को काफी प्रभावित कर रखा है. यातायात ठप होने से पहाड़ का संपर्क समतल से टूट गया है. खाद्य संकट से कोहराम है. स्वास्थ सेवा पूरी तरह से विखर चुकी है. बैंक, एटीएम, बाजार आदि बंद होने से पहाड़ का पूरा व्यवसाय चौपट हो गया. पहाड़ के साथ समतल के व्यवसायी भी खाक छान रहे हैं. दार्जिलिंग की जिला अधिकारी जयश्री दासगुप्ता ने बताया कि इस आंदोलन का पहाड़वासियों के आगामी जीवन पर काफी दुष्प्रभाव पड़ेगा. बुधवार को सिलीगुड़ी के निकट मिनी सचिवालय उत्तरकन्या में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने अपने राजनैतिक फायदे के लिये पहाड़वासियों को भ्रमित कर दिया है. आंदोलन में साथ देने वाले श्रमिकों को वर्तमान से चार गुना अधिक भत्ता, वेतन आदि दिलाने की अफवाह फैलायी गयी है. दो महीने से पहाड़ का चाय उद्योग ठप है.

पांच हजार से अधिक चाय श्रमिक काम छोड़कर बैठे हुए है. इसका असर वर्तमान चाय उद्योग पर तो पड़ ही रहा है, अगले वर्ष भी चाय निर्यात में इसका गहरा असर पड़ेगा. बैंक, एटीएम, यातायात बंद होने से व्यापार पूरी तरह से प्रभावित हुआ है. दूसरी तरफ आंदोलन की आड़ में पुलिस प्रशासन व सेना पर जानलेवा हमले किये गये. हमले में पेट्रोल बम के साथ विस्फोटक का उपयोग किया गया है. सभी पंचायत कार्यालय को तहस-नहस कर दिया गया. कई सरकारी कार्यालय जला कर राख कर दिये गये. कार्यालय के कम्प्यूटर और सरकारी दस्तावेज इस आग में जल गये हैं.

सभी सरकारी रिकॉर्ड खत्म होने से आगामी दिनों में नागरिक सेवा मुहैया कराने में काफी मुश्किल होगी. पहाड़ का विकास करना जीटीए की जिम्मेदारी थी. कई परियोजनाओं के लिए केंद्र व राज्य सरकार ने आर्थिक आवंटन दिया है. लेकिन जीटीए के सभी कार्यालय व दस्तावेजों के नष्ट होने से यह परियोजनाए अगले कई वर्षों के लिए ठप हो गयी है. इस नुकसान के लिए पहाड़ के आम नागरिक भी जिम्मेदार हैं. 29 अगस्त को पहाड़ पर पुन: शांति बहाल करने के लिए राज्य सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलायी है. दूसरी और पहाड़ पर हमलों की जांच करायी जा रही है. इन वारदातों में शामिल होने वाले के खिलाफ कार्यवाई के लिए लगातार अभियान जारी है.

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