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मोरचा के फरमान के बाद पहाड़ छोड़ने को मजबूर विद्यार्थी

सिलीगुड़ी. गोरखालैंड आंदोलन को और तेज करने के मद्देनजर गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) के एक के बाद एक फरमान के बाद अब देश-दुनिया से पहाड़ आकर पढ़नेवाले विद्यार्थी भी पहाड़ छोड़ने को मजबूर हैं. मोरचा सुप्रीमो विमल गुरुंग ने सभी विद्यार्थियों को 23 जून तक पहाड़ छोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके तहत शुक्रवार […]

सिलीगुड़ी. गोरखालैंड आंदोलन को और तेज करने के मद्देनजर गोरखा जनमुक्ति मोरचा (गोजमुमो) के एक के बाद एक फरमान के बाद अब देश-दुनिया से पहाड़ आकर पढ़नेवाले विद्यार्थी भी पहाड़ छोड़ने को मजबूर हैं. मोरचा सुप्रीमो विमल गुरुंग ने सभी विद्यार्थियों को 23 जून तक पहाड़ छोड़ने का फरमान जारी किया था. इसके तहत शुक्रवार को सुबह से ही दार्जीलिंग-कार्सियांग के अलावा पहाड़ के अन्य जगहों के स्कूलों से विद्यार्थियों का सिलीगुड़ी में दिनभर तांता लगा रहा. आज कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच विद्यार्थी पहाड़ से सिलीगुड़ी उतरे.

मोरचा के फरमान के बाद जहां विद्यार्थी काफी आतंकित थे वहीं बच्चों की सलामती और सुरक्षा को लेकर अभिभावक भी काफी दहशत में दिखे. दार्जीलिंग के सम्पोल स्कूल और कार्सियांग के गोथल्स स्कूल के विद्यार्थियों के सुख-सुविधा के लिए सिलीगुड़ी के दार्जीलिंग मोड़ से सटे दागापुर स्थित सेविन किंग्डम में विशेष इंतजाम किया गया. यहां मौजूद सभी विद्यार्थियों को सही-सलामत उनके अभिभावकों के हवाले किया जायेगा.

बांग्लादेश के विद्यार्थियों ने भी छोड़ा पहाड़ : मोरचा के फरमान के बाद अब बांग्लादेश के विद्यार्थियों ने भी पहाड़ छोड़ दिया. कार्सियांग स्थित हिमाली बोर्डिंग स्कूल व संत एंथनीज स्कूल से बांग्लादेश के करीब दो दर्जन से भी अधिक विद्यार्थी शुक्रवार को दिन के करीब एक बजे पहाड़ से सिलीगुड़ी के दार्जीलिंग मोड़ पर उतरे. बांग्लादेश के विद्यार्थियों में अधिकांश विद्यार्थी ढाका के रहनेवाले हैं. काफी आतंक में पहाड़ से उतरी संत एंथनीज की सातवीं की एक छात्रा महियत तस्मिम का कहना है कि वह अपने सहपाठियों के साथ स्कूल के ही बोर्डिंग में रह कर पढ़ायी कर रही हैं. पहाड़ पर आंदोलन को लेकर स्कूल में ही जानकारी मिली. लेकिन जबतक स्कूल कैंपस के भीतर हम थे हमें सुरक्षा को लेकर कोई चिंता नहीं हुई. स्कूल में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम है. लेकिन आज सुबह जब हम स्कूल छोड़ने के लिए पहाड़ से उतर रहे थे तो रास्ते में भारी पुलिस और सेना वाहिनी को देखकर आतंकित हो उठे.

दहशत में अभिभावक भी : मोरचा द्वारा विद्यार्थियों के पहाड़ छोड़ने के फरमान के बाद बच्चों के अभिभावक भी काफी दहशत में आ गये हैं. शुक्रवार को सुबह सिलीगुड़ी के दार्जीलिंग मोड़ पर अपने बच्चों को सही-सलामत देखकर कई अभिभावकों के खुशी में आंख गिले हो गये. बांग्लादेश के ढाका निवासी मुस्तफा रहमान ने जैसे ही अपनी बच्ची महियत को सही-सलामत स्कूल बस से उतरते देखा दौड़कर उसे गले लगा लिया और महियत पर देर तक प्यार उड़ेलते रहे. काफी भावुक मन से मीडिया से मुखातिब होते हुए मुस्तफा ने कहा कि जब पहाड़ पर गोरखालैंड को लेकर हिंसक आंदोलन की खबरें हम सुन रहे थे तब उतने आतंकित नहीं थे वजह स्कूल में बच्चे काफी सुरक्षित हैं. लेकिन जैसे ही आंदोलनकारियों द्वारा विद्यार्थियों को भी पहाड़ छोड़ने का अल्टीमेटम दिया उसके बाद हम काफी दहशत में आ गये. पासपोर्ट-वीजा जैसे जरूरी सरकारी दस्तावेज बनाने और यहां सिलीगुड़ी पहुंचने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. मुस्तफा का कहना है कि बार-बार पहाड़ पर हिंसक आंदोलन को लेकर वह अपने बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं कर सकते. अगर दार्जीलिंग समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकल जाता तब-तक बच्चों को यहां पढ़ने नहीं भेजेंगे.

सिलीगुड़ी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम : पहाड़ से उतरे विद्यार्थियों के लिए सिलीगुड़ी में मेट्रोपोलिटन पुलिस की ओर से सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया. खासकर दार्जीलिंग मोड़ को छावनी में तब्दील कर दिया गया. सुबह से ही भारी पुलिस बलों की तैनाती कर दी गयी थी. वहीं आंदोलनकारियों के किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए दार्जीलिंग मोड़ पर ही दो वाटर टैंक ‘वज्रा’ को भी मुश्तैद किया गया. सुरक्षा की कमान दार्जीलिंग मोड़ पर एसीपी जोन-2 अचिंत दास व इंस्पेक्टर मुमताज बेगम ने संभाल रखी थी, वहीं पुलिस कमिश्नर सीएस लेप्चा हेडक्वार्टर पुलिस लाइन स्थित अपने दफ्तर से ही हरेक गतिविधि नजर गड़ाये हुई थी और हर पल पल-पल की खबरें ले रही थी.

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