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मनोरंजन पार्क उद्योग के अस्तित्व के लिए जीएसटी हानिकारक

कोलकाता: भारत सरकार द्वारा हाल ही में घोषित वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) ने 28 फीसदी की दर लागू कर भारत के मनोरंजन-थीम पार्क उद्योग का भविष्य खतरे में डाल दिया है. यह उद्योग बच्चों, युवाओं और परिवारों का मनोरंजन करता है, लेकिन इस नये कराधन के तहत इस उद्योग को कैसीनो, सट्टेबाजी और रेस […]

कोलकाता: भारत सरकार द्वारा हाल ही में घोषित वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) ने 28 फीसदी की दर लागू कर भारत के मनोरंजन-थीम पार्क उद्योग का भविष्य खतरे में डाल दिया है. यह उद्योग बच्चों, युवाओं और परिवारों का मनोरंजन करता है, लेकिन इस नये कराधन के तहत इस उद्योग को कैसीनो, सट्टेबाजी और रेस कोर्स के समान रखा गया है, यानी इसे इसी वर्ग में डाला गया है. ऐसा करते हुए इस उद्योग द्वारा सामाजिक बुनियादी ढांचा बनाने और पर्यटन को आकर्षित करने में निभायी गयी महत्वपूर्ण भूमिका को भी नजरअंदाज किया गया है.
यह जानकारी इंडियन एसाेसिएशन ऑफ अम्यूजमेंट पार्क एंड इंडस्ट्रीज (आइएएपीआइ) और पैन इंडिया पर्यटन प्राइवेट लिमिटेड (पीआइपीपीएल) के सीइओ शिरीष देशपांडे ने दी. उन्हाेंने बताया कि एक साल पहले कई राज्यों में, जहां कर की दर जीरो फीसदी थी, वहीं सेवा कर 15 फीसदी थी और अब जीएसटी की वजह से 28 फीसदी हो गयी है, जो इस उद्योग पर भारी बोझ है. मनोरंजन पार्क उद्योग, जो अभी भी देश में उभरते हुए चरण में है, अत्यधिक पूंजी लगनेवाला उद्योग है. मेगा पार्कों के लिए 700 करोड़ और मध्य आकार के पार्कों के लिए 100 करोड़ रुपये लगते हैं और साथ ही परिचालन व्यय (ओपेक्स) भी लगता है. श्री देशपांडे ने बताया कि मौसमी व्यवसाय होने के बावजूद सभी पार्कों को ऑफ सीजन के दौरान भी पूर्ण क्षमता के साथ काम करना पड़ता है.

लगभग 1700 करोड़ रुपये के संचयी राजस्व के साथ इतने कम मार्जिन पर काम करने के बावजूद मनोरंजन पार्क उद्योग ने सामाजिक बुनियादी ढांचा सृजन में काफी योगदान दिया है और फिलहाल भारत में करीब 1.25 लाख कर्मचारी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं. इसे देखते हुए उद्योग के एक प्रतिनिधि के रूप में हम सरकार से आग्रह करते हैं कि सरकार इस पर विचार करे और इस उद्योग को आतिथ्य और रेस्तरां के कैटेगरी में डाले, जो 12 से 18 फीसदी के जीएसटी स्लैब में आता है. यह उद्योग कच्चे माल का उपभोग नहीं करता है और इनपुट क्रेडिट 2-3 फीसदी से अधिक नहीं है. इसलिए इसके लिए उच्च जीएसटी दर को बनाये रखना मनोरंजन उद्योग को धक्का पहुंचाता है.

विश्व स्तर पर जहां जीएसटी शुरू की गयी है, वहां पर्यटन दर को जीएसटी दर का आधा रखा गया है और ज्यादातर मामलों में यह 10 फीसदी से कम है. ऑस्ट्रेलिया में जीएसटी दर 10, सिंगापुर 7, जापान 5, मलेशिया 6 फीसदी है.

रामोजी फिल्म सिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव जलानापुरकर ने कहा कि इस तरह के उच्च कराधान हमारे व्यापार संभावनाओं के लिए हानिकारक है. यह हजारों नौकरियों को दावं पर लगा देगा. मनोरंजन पार्क उद्योग अभी भी अपनी प्रारंभिक अवस्था में है और इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए सरकार से पूर्ण समर्थन की आवश्यकता है.

जीएसटी : नामांकन कराने में बंगाल अव्वल
कोलकाता. पश्चिम बंगाल सरकार भले ही वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) को यहां फिलहाल लागू नहीं करना चाह रही. राज्य सरकार का मानना है कि अभी जीएसटी लागू करने के लिए पश्चिम बंगाल तैयार नहीं है. लेकिन पश्चिम बंगाल के उद्यमियों को बेसब्री से जीएसटी का इंतजार है. यही कारण है कि जीएसटी के लिए नामांकन कराने में पश्चिम बंगाल पूरे देश में अव्वल है. यह जानकारी बुधवार को केंद्र सरकार के कोलकाता कमिश्नरेट के प्रधान आयुक्त विजय कुमार ने दी. उद्योग मंडल सीआइआइ द्वारा जीएसटी पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान श्री कुमार ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीइसी) के माध्यम से बंगाल की लगभग 91 प्रतिशन कंपनियों ने जीएसटी के लिए नामांकन किया है. श्री कुमार ने कहा कि जीएसटी देश की अर्थ-व्यवस्था के लिए काफी प्रभावशाली व प्रौद्योगिकी-चालित होगा. इस मौके पर राज्य के सेवा कर विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार जीएसटी प्रणाली को लागू करने से पहले जितना संभव हो, उतना आसान करने का प्रयास कर रही है. इसके साथ ही राज्य सरकार जीएसटी के तहत भी ऐसा टैक्स दर रखना चाहती है, जो कर-दाताओं के लिए बेहतर हो सके. उन्होंने बताया कि फिलहाल, पुस्तकों को वैट के दायरे से बाहर रखा गया है. बंगाल में पुस्तक प्रेमियों की भावनाओं को समझते हुए पश्चिम बंगाल सरकार पुस्तकों को जीएसटी के दायरे के बाहर रखने का फैसला किया है. फुटवियर उद्योग भी बंगाल के काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए राज्य सरकार 500 रुपये से कम कीमतवाले फुटवियर को जीएसटी के दायरे से बाहर रखना चाहती है. इस मौके पर सेवा कर – I कमिश्नरेट के सह आयुक्त देव कुमार राजवानी ने कहा कि उद्योग जगत को जीएसटी से अवगत कराने के लिए केंद्र सरकार पूरी तरह से तत्पर है. उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को जीएसटी के फायदों के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने से महंगाई कम होगी और साथ ही नगर निगम व नगरपालिका कर दर भी कम होगा. इस मौके सीआइआइ के पूर्वी क्षेत्र के पूर्व चेयरमैन दीपांकर चटर्जी ने भी उम्मीद जतायी कि जीएसटी लागू होने से उद्योग जगत को फायदा होगा और देश की अर्थव्यवस्था का विकास होगा.

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