श्री मित्रा 2016 में राज्य के वित्त मंत्रियों की समिति के अध्यक्ष थे आैर उन्होंने जीएसटी पर राज्यों को इकट्ठा करने में बड़ी भूमिका निभायी थी. पर केंद्र की मोदी सरकार आैर राज्य की ममता सरकार के बीच आये रिश्तों में खटास के साथ अब सब कुछ बदल गया है. हाल ही में उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि देश अभी तक जीएसटी के बोझ का सामना करने के लिए तैयार नहीं है.
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वर्तमान अवस्था में जीएसटी स्वीकार नहीं : अमित मित्रा
कोलकाता: गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) एक जुलाई से देश भर में लागू हो जायेगा, लेकिन पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित्र मित्रा का कहना है कि वर्तमान रूप में जीएसटी हमें स्वीकार्य नहीं है. राज्य सचिवालय नवान्न में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मित्रा ने कहा कि बंगाल जीएसटी को वर्तमान […]
कोलकाता: गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) एक जुलाई से देश भर में लागू हो जायेगा, लेकिन पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित्र मित्रा का कहना है कि वर्तमान रूप में जीएसटी हमें स्वीकार्य नहीं है. राज्य सचिवालय नवान्न में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मित्रा ने कहा कि बंगाल जीएसटी को वर्तमान रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है. मैंने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के सामने विभिन्न मुद्दों को उठाया है.
तीन जून यानी शनिवार को होनेवाली बैठक में मैं फिर से उन मुद्दों को उठाऊंगा. गौरतलब है कि हाल ही में श्रीनगर में जीएसटी कौंसिल की हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में तबीयत खराब होने के कारण श्री मित्रा शामिल नहीं हो पाये थे. श्री मित्रा ने केंद्र से जीएसटी रोलआउट को स्थगित करने का आग्रह किया है आैर सवाल उठाया है कि क्या छोटे आैर मध्यम उद्योग नये कर व्यवस्था को संभालने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि बड़े उद्योग भले ही जीएसटी की नयी व्यवस्था को संभाल लें, लेकिन उनके वेंडर तो पहले से ही संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि कई राज्यों ने जीएसटी की पुष्टि कर दी है, पर बंगाल ने अभी तक इसे राज्य विधानसभा में स्वीकृति के लिए पेश नहीं किया है.
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री मित्रा ने कहा कि जीएसटी कौंसिल में 33 सदस्य हैं, फिर भी उन्होंने अकेले लड़ाई कर काफी बदलाव लाया. खाद्यानों, खादी, छेना, हरी सब्जियों, पान, स्वास्थ्य परिसेवा, न्यूज प्रिंट इत्यादि को टैक्स से बाहर रखने के लिए उन्होंने काफी संर्घष किया आैर कामयाबी भी हासिल की. उन्होंने कहा कि जीएसटी के कारण राज्यों के राजस्व में कमी होने पर पांच वर्ष तक हर्जाना देना होगा. आप बीच में हर्जाना बंद नहीं कर सकते हैं.
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