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1.7 मिलियन ई-कचरा निपटान की चुनौती

कोलकाता. भारत में प्रतिवर्ष 1.7 मिलियन टन ई कचरा निकलता है. यह प्रतिवर्ष 5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. आने वाले समय में इस कचरे से निपटना एक बड़ी चुनौती होगी. इसके लिए काफी धन और जगह की आवश्यकता पड़ेगी. ये बातें राज्य प्रदूषण बोर्ड के चेयरमैन डॉ कल्याण रुद्र ने कही. उन्होनें […]

कोलकाता. भारत में प्रतिवर्ष 1.7 मिलियन टन ई कचरा निकलता है. यह प्रतिवर्ष 5 फीसदी की दर से बढ़ रहा है. आने वाले समय में इस कचरे से निपटना एक बड़ी चुनौती होगी. इसके लिए काफी धन और जगह की आवश्यकता पड़ेगी. ये बातें राज्य प्रदूषण बोर्ड के चेयरमैन डॉ कल्याण रुद्र ने कही. उन्होनें कहा कि हुगली एवं दक्षिण 24 परगना में राज्य सरकार श्रमिकों को ई कचरा से निपटाने के लिए कार्यशाला आयोजित कर रही है. श्रमिकों को ई-कचरा के प्री ट्रीटमेंट एवं इसे पूर्ण रूप से नष्ट करने के लिए यहां प्रशिक्षण की व्यवस्था है.

हालांकि राज्य प्रदूषण बोर्ड ने इसके लिए मानक तय कर रखे हैं. बीसीसीआइ के अध्यक्ष सुतानु घोष ने कहा कि इसके लिए उद्योगों को पहले से रोडमैप तैयार करने की जरूरत है. केवल सरकार के भरोसे नहीं रहकर उद्योग जगत को भी आगे आकर प्रदूषण से निपटने का रास्ता तलाशना होगा. इसके लिए सरकार ने ई वेस्ट मैनेजमेंट रूल (संशोधित) 2016 जारी किया है. मौके पर पीएचडी चेंबर ऑफ कामर्स के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल खेतान, राज्य प्रदूषण बोर्ड के सदस्य डॉ सुब्रत मुखर्जी, बंगाल चेंबर के पूर्व अध्यक्ष आलोक मुखर्जी आदि ने अपना विचार रखा.

बंगाल में जागरूकता की जरूरत : खराब पड़े इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों को ही ई-वेस्ट कहा जाता है. भारत में हर साल करीब 17 लाख टन ई-वेस्ट इकट्ठा होता है. वहीं पश्चिम बंगाल में ई-वेस्ट मैनेजमें‍ट की हालत बेहत खराब है. राज्य में इनका रिसाइकिल बेहद कम होता है. इस दिशा में गति लाने की जरूरत है. इससे लिए ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाने की भी जरूरत है. ये बातें पश्चिम बंगाल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चेयरमैन डॉ कल्याण रुद्र ने कहीं. वे बंगाल चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि ई-वेस्ट के रिसाइकल के लिए बोर्ड ने 127 पालिकाओं को पत्र लिखा है. उन्होंने ई-वेस्ट को रिसाइकल के लिए आधारभूत ढांचा तैयार करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि म्यूनिसिपल हर बार फंड का अभाव का रोना रोते हैं. उन्होंने कहा कि ई-वेस्ट प्रबंधन को लेकर केंद्र सरकार की एक गाइड लाइन भी है.
बोर्ड इस जागरूकता के लिए इस गाइड लाइन को बांग्ला में रूपानंतरित कर लोगों तक पहुंचाये ताकि विक्रेता से लेकर ग्राहक तक जागरूकता फैलायी जा सके.

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