ऐसा कैसे हो सकता है कि वहां की जनता अपनी रोजी-रोटी के साधन को दरकिनार करे. श्री जगर ने कहा कि जो भी हिंसा होती है, वह छिटपुट होती है. कुछ उसी तरह, जिस तरह भारत के किसी भी स्थान में हो सकती है. जम्मू-कश्मीर को एडवेंचर हब के तौर पर भी विकसित किया जा रहा है. एडवेंचर स्पोर्ट्स, जिनमें पैरा ग्लाइडिंग आदि की भी व्यवस्था है.
गत वर्ष यहां 16-17 लाख पर्यटक आये थे. इस वर्ष जून तक गत वर्ष जितना न भी हो, उसका करीब 80 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया जायेगा. श्री जगर कहते हैं कि देश प्रेम के हित में भी कश्मीर का पर्यटन करना चाहिए. जो आज पत्थर फेंक रहे हैं, वs पर्यटकों की अधिक तादाद होने पर काम पर लगने के लिए मजबूर हो जायेंगे.