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गरमी में सफेद की बल्ले-बल्ले, पीली का हाल बेहाल

तपिश में ओला-उबेर की एयर कंडीशंड टैक्सी बनी यात्रियों की पसंद, पीली टैक्सियों में सफर करने से कतरा रहे हैं लोग आनंद कुमार सिंह कोलकाता : महानगर का तापमान जहां पुराने रिकॉर्ड को तोड़ता नजर आ रहा है, वहीं लोगों के परिवहन का तरीका भी बदलता नजर आ रहा है. भीषण गरमी ने लोगों को […]

तपिश में ओला-उबेर की एयर कंडीशंड टैक्सी बनी यात्रियों की पसंद, पीली टैक्सियों में सफर करने से कतरा रहे हैं लोग
आनंद कुमार सिंह
कोलकाता : महानगर का तापमान जहां पुराने रिकॉर्ड को तोड़ता नजर आ रहा है, वहीं लोगों के परिवहन का तरीका भी बदलता नजर आ रहा है. भीषण गरमी ने लोगों को पैसों का मोह छोड़ने पर मजबूर करते हुए उन्हें एयर कंडीशंड टैक्सी की ओर मोड़ दिया है. गरमी का ये आलम है कि पारंपरिक पुरानी टैक्सियों के चालकों के हितों को ध्यान में रखते हुए टैक्सी यूनियन कई कदम भी उठा रहे हैं.
नाम न बताने की शर्त पर ओला के एक उच्चाधिकारी बताते हैं कि उन्हें यही ट्रेंड दिल्ली में भी देखने को मिला है. गरमी की वजह से लोग एसी गाड़ियों को तरजीह दे रहे हैं. जहां तक ओला के किराये की बात है तो यह ‘मांग और आपूर्ति’ के सिद्धांत पर काम करता है. यदि मांग बेहद अधिक है तो कई बार किराया थोड़ा बढ़ जाता है, लेकिन इससे बचने के भी कई उपाय हैं. इसमें ‘शेयर कैब’ प्रमुख है, लेकिन गरमी की वजह से उन्हें काफी अधिक राइड्स मिल रहे हैं. आने वाले दिनों में इसकी तादाद बढ़ेगी क्योंकि लोग सहूलियत को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं.
क्या कहना है यात्रियों का : टैक्सी में प्राय: सफर करने वाले सुभाष जायसवाल कहते हैं कि इतनी भीषण गरमी में एसी टैक्सी बिना सफर मुश्किल है. जहां तक किराये की बात है उन्हें किराये में कोई अधिक अंतर महसूस नहीं होता. ऐसे यात्री जो कभी-कभार ही टैक्सी में चलते हैं उनका कहना था कि कोलकाता की गरमी जिसमें पसीना बेहद अधिक होता है, वहां पुरानी टैक्सी के बदले एसी मेट्रो या फिर एसी टैक्सी ही सर्वोत्तम है.
पुरानी टैक्सियों में सफर करने वाले यात्रियों की तादाद में कोई कमी नहीं आयी है : नवल
बंगाल टैक्सी एसोसिएशन के महासचिव विमल गुहा ने गरमी में पारंपरिक टैक्सियों में लोगों के कम सफर करने की बात को मानते हुए कहा कि गरमी में ऐसा हो सकता है. जिन टैक्सियों में एसी नहीं है उनके चालकों को भी परेशानी होती है. दोपहर को निकलने में उन्हें समस्या होती है.
इसलिए उन्होंने प्रशासन को पत्र भी लिखा है कि दोपहर में यदि कोई टैक्सी ड्राइवर गाड़ी खड़ी करके सुस्ताता है तो उसे नो पार्किंग का केस न दिया जाये. साथ ही गरमी की वजह से यदि वह कहीं जाने से इनकार करता है तो उसे ‘ नो रिफ्यूजल’ का केस भी न दिया जाये. ओला-उबेर से टक्कर लेने के लिए वह बंगाल चेंबर ऑफ कॉमर्स से करार करने वाले हैं जिसकी घोषणा अगले हफ्ते की जायेगी. जिसके तहत फोन के जरिये टैक्सी बुलाने की सुविधा पारंपरिक टैक्सियों के साथ भी मुमकिन होगी. इसके अलावा बस, मिनी बस आदि के साथ मिलकर हाल में बने ज्वाइंट फोरम ऑफ ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स के बैनर तले किराया बढ़ाने पर भी चर्चा करने वाले हैं.
वेस्ट बंगाल टैक्सी ऑपरेटर्स कोऑर्डिनेशन कमेटी (एटक समर्थित) के संयोजक नवल किशोर श्रीवास्तव ने माना कि गरमी की वजह से पारंपरिक टैक्सियों से अधिक भले ही लोग ओला-उबेर के एसी कैब को प्राथमिकता दे रहे हों लेकिन यह सामयिक बात है. पुरानी टैक्सियों में सफर करने वाले यात्रियों की तादाद में कोई कमी नहीं आई है.

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