इसमें देशभर में राज्य परिवहन निगमों की रैंकिंग तैयार की जाएगी. रैंकिंग फाइनेंशियल परफॉर्मेंस, शहरों और गांवों से कनेक्शन और बस टर्मिनल और यात्रियों को दी जानेवाली सुविधाओं के आधार पर बनायी जायेगी. जिन राज्य परिवहन निगमों का प्रदर्शन सबसे अच्छा होगा, उनके बेड़े में इलेक्ट्रिक बसों की संख्या धीरे- धीरे बढ़ाई जाएगी. मंत्रालय चाहता है कि पहले साल ऐसी 5000 बसें सड़कों पर उतारी जाएं और अगले साल उनकी संख्या बढ़ाकर लगभग 30,000 कर दी जाए. विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, ‘राज्य परिवहन निगमों को खराब प्रबंधन, ज्यादा रखरखाव खर्च और बसें चलाने में ज्यादा खर्च होने से बहुत घाटा हो रहा है.
इलेक्ट्रिक बसें चलाने से यह नुकसान पूरी तरह खत्म हो जाएगा और इससे कार्बन उत्सर्जन में भी बहुत बचत होगी. सरकार अपने हरित अभियान के तहत 2030 तक बड़े पैमाने पर बिजली से चलने वाली बसें लाने के लिए एक पॉलिसी बना रही है. इसके अलावा सरकारी विभागों, मंत्रालयों और दूसरे निकायों के लिए दो लाख इलेक्ट्रिक कारों की खरीदारी के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है. रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाइवे मिनिस्टर नितिन गडकरी ने कहा था कि सरकार साल के अंत तक इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर एक पॉलिसी तैयार कर सकती है. उन्होंने बताया कि ऐसे बसों की खरीदारी के लिए जल्द फंड मिल जागा. इस संबंध में मंत्रालय पहले ही प्रस्ताव पेश कर चुका है कि इलेक्ट्रिक टैक्सी की खरीदारी करने और उनको कमर्शियल व्हीकल के तौर पर चलाना सस्ता और आसान बनाने के लिए उस पर सभी परमिट और राज्यों में लगनेवाले टैक्स से छूट मिलनी चाहिए.