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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बोले कर्णन, नहीं करवाऊंगा मेडिकल जांच

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी एस कर्णन ने आज कहा कि वह मेडिकल जांच नहीं करवाएंगे। न्यायमूर्ति कर्णन को उनके खिलाफ चल रहे अवमानना के एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकीय जांच करवाने का आदेश दिया है. न्यायालय ने न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारों का न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा उपयोग किए जाने पर […]

कोलकाता : कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी एस कर्णन ने आज कहा कि वह मेडिकल जांच नहीं करवाएंगे। न्यायमूर्ति कर्णन को उनके खिलाफ चल रहे अवमानना के एक मामले में उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सकीय जांच करवाने का आदेश दिया है. न्यायालय ने न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारों का न्यायमूर्ति कर्णन द्वारा उपयोग किए जाने पर रोक भी लगा दी है. न्यायमूर्ति कर्णन ने यह भी धमकी दी है कि अगर पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक ने उनकी मर्जी के खिलाफ काम किया तो वह :कर्णन: पुलिस महानिदेशक के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए उसके निलंबन का आदेश जारी कर देंगे.

जस्टिस कर्णन के दिमागी संतुलन की होगी जांच, सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल बोर्ड गठन करने का दिया आदेश

इससे पहले, न्यायालय ने कोलकाता में एक सरकारी अस्पताल द्वारा गठित डॉक्टरों के बोर्ड को चार मई को कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सी एस कर्णन की मेडिकल जांच करने का आदेश दिया. प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि वह पुलिस का एक दल गठित करें जो न्यायमूर्ति कर्णन की मेडिकल जांच में मेडिकल बोर्ड की मदद कर सके.
न्यायालय की व्यवस्था के कुछ ही समय बाद न्यायमूर्ति कर्णन ने कहा ‘‘मेरे विवेक के खिलाफ इस तरह का उत्पीडन आदेश एक बेकसूर दलित न्यायाधीश का और अपमान है जिसका स्वास्थ्य एवं जिसकी सोच ठीक है. न्यायमूर्ति कर्णन ने अपने हस्ताक्षर वाले एक आदेश में कहा, मैं नयी दिल्ली के पुलिस महानिदेशक को आदेश देता हूं कि वह सभी सातों न्यायाधीशों को ले कर उन्हें नयी दिल्ली के अखिल भारतीय चिकित्सा आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स अस्पताल) से संबद्ध मनोवैज्ञानिक मेडिकल बोर्ड ले जाएं जहां सातों का समुचित चिकित्सकीय परीक्षण हो और सात मई 2017 से पहले रिपोर्ट की एक प्रति पेश की जाए. इस आदेश की एक प्रति मीडिया को दी गई. न्यायमूर्ति कर्णन ने यह भी कहा कि सातों न्यायाधीशों को साथ ले जाने से पहले, उनके परिवार वालों को इसकी सूचना दी जानी चाहिए.

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