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निबटने के लिए कानूनी तरीके तलाश रहा राज्य
राजमार्गों पर शराब बिक्री पर बैन मामला कोलकाता : राज्य व राष्ट्रीय राजमार्गों पर शराब की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने के फैसले ने देश भर में एक अजीब-सी स्थिति उत्पन्न कर दी है. विभिन्न राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मद्देनजर पर्यटन व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने व कर […]
राजमार्गों पर शराब बिक्री पर बैन मामला
कोलकाता : राज्य व राष्ट्रीय राजमार्गों पर शराब की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने के फैसले ने देश भर में एक अजीब-सी स्थिति उत्पन्न कर दी है. विभिन्न राज्य सरकारें सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के मद्देनजर पर्यटन व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने व कर वसूली में कमी की आशंका जता रही हैं. वहीं, केंद्र सरकार उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ अपील करने से कन्नी काट रही है, क्योंकि अतीत में केंद्र सरकार ही राजमार्गों पर शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने की मांग कर चुकी है. इस स्थिति में विभिन्न राज्य सरकारें नये रास्ते तलाश करने की कोशिश कर रही हैं.
पश्चिम बंगाल सरकार भी अपवाद नहीं है. राज्य सरकार इस बात पर कानूनी राय ले रही है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य के राजमार्गों को अधिसूचित करने का उसका फैसला अदालत की अवमानना तो नहीं है. एक आला अधिकारी का मानना है कि राज्य राजमार्गों की अधिसूचना इस समस्या का समाधान हो सकता है, पर इसमें काफी कानूनी जटिलताएं हैं.
इसके लिए कानूनी परामर्श लिया जा रहा है. प्रारंभिक अनुमान यह है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केवल पश्चिम बंगाल में राजमार्गों पर 1800 ऐसे आउटलेट हैं, जिनमें काम करनेवाले लगभग 10,000 कर्मियों की नौकरी जाने की आशंका है. वहीं, कुछ मालिकों ने अपने व्यवसाय के लिए दूसरा स्थान तलाश करना शुरू कर दिया है, जबकि कुछ की उम्मीदें राज्य सरकार के प्रयासों पर टिकी हुई हैं. इस बारे में राज्य सरकार की आेर से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आयी है, पर सूत्रों के अनुसार इस निर्देश को लागू करने के लिए आैर अधिक समय मांगने का विकल्प भी तैयार रखा गया है. इसके साथ ही राज्य सरकार शराब की दुकानों को राजमार्गों से 500 मीटर से दूर रखने पर भी विचार कर रही है. इसके अलावा आैर भी कई विकल्प हैं, जिन पर विचार-विमर्श किया जा रहा है.
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