वर्ष 2013 में दोनों की शादी हुई थी. शादी के बाद डॉ देवजानी को अंदाजा लगा कि उसके पति का कोई स्वाभाव खुशहाल परिवारिक जीवन के अनुरूप नहीं है. खैर शादी के कुछ सालों बाद एक बच्ची का जन्म हुआ, लेकिन डॉ देवजानी अपने मायके में रहने को मजबूर हुई. इस बीच 27 अगस्त, 2016 को उसकी बच्ची खाना खाने के दौरान अचानक अचेत हो गयी. इलाज के बाद पता चला कि उसे हृदयाघात हुआ. बच्ची अपने घर जा चुकी है. वह कोमा से निकल चुकी है, लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं हो पायी है. उसका इलाज घर में ही चल रहा है.
अभी भी वह लगभग बेहोशी की हालत में रहती है. डाॅ देवजानी ने आरोप लगाया कि बेटी के बीमार पड़ने के बाद ही उसके पति ने उससे तलाक देने के लिए अदालत में याचिका दी. इतना ही नहीं बच्ची का इलाज करनेवाले चिकित्सक के खिलाफ डॉ रामचंद्र ने पूर्व यादवपुर थाने में शिकायत दर्ज करायी कि जिस बच्ची का ब्रेन डेथ हो चुका है, उसका इलाज कैसे हो सकता है. ब्रेन डेथ यानी मरीज की मौत हो जाती है. इस मुद्दे पर डॉ देवजानी का कहना है कि पेशे से वह भी एक डॉक्टर है. बच्ची का ब्रेन डेथ नहीं हुआ है. वह बेहोशी की हालत में है, लेकिन कोमा से निकल चुकी है. ऐसे में उसके ब्रेन डेथ की बात एक चिकित्सक कैसे कह सकता है? ब्रेन डेथ का भी एक प्रोटोकॉल होता है.
यानी ब्रेन डेथ की घोषणा के पहले कई जांच होती हैं. इसके बगैर ही एक पिता अपनी ही बच्ची के ब्रेन डेथ की बात क्यों कर रहा है? बच्ची के इलाज में अभी तक करीब 30 लाख रुपये का खर्च हो चुके हैं. एक चिकित्सक के तौर पर नहीं, बल्कि एक मां की हैसियत से डॉ देवजानी इंसाफ चाहती है और बच्ची के पिता से उसके इलाज का खर्च लेना चाह रही है.