सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए सीबीअाइ को मामले की प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एक महीने का वक्त दिया है. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि तृणमूल नेता इस संबंध में दायर किसी भी एफआइआर को चुनौती दे सकते हैं.
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नारद : सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को लगायी फटकार
कोलकाता/नयी दिल्ली. नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार को तगड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के उस निर्देश को बरकरार रखा जिसमें नारद स्टिंग मामले की जांच सीबीअाइ से कराने की बात कही गयी है. पश्चिम बंगाल सरकार और तृणमूल कांग्रेस ने सीबीआइ जांच के […]
कोलकाता/नयी दिल्ली. नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार को तगड़ा झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को कलकत्ता हाइकोर्ट के उस निर्देश को बरकरार रखा जिसमें नारद स्टिंग मामले की जांच सीबीअाइ से कराने की बात कही गयी है. पश्चिम बंगाल सरकार और तृणमूल कांग्रेस ने सीबीआइ जांच के हाइकोर्ट के आदेश पर स्थगनादेश लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.
ममता बनर्जी की अगुवाई वाली राज्य सरकार की ओर से हाइकोर्ट के 17 मार्च के आदेश के खिलाफ दायर एक अलग अपील में बताये गये आधारों को शीर्ष न्यायालय ने ‘बेहद दुर्भाग्यपूर्ण’ करार देते हुए कहा कि याचिका ‘सिरे से खारिज’ करने लायक है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि हाइकोर्ट के निष्कर्षों में उसे कोई विसंगति नजर नहीं आती. पीठ ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सीबीआइ को दिये गये 72 घंटे की मोहलत को बढ़ाकर एक महीना कर दिया. न्यायमूर्ति डीवाइ चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘हमने आदेश का अध्ययन किया, जिसमें यह उभरकर सामने आया कि हाइकोर्ट ने ऐसी सामग्रियों पर विचार किया जिनमें सीबीआइ की ओर से प्रारंभिक जांच (पीइ) करने की जरूरत थी.’ पीठ ने कहा : हमें उच्च न्यायालय के निष्कर्षों में कोई विसंगति नजर नहीं आती, क्योंकि याचिकाकर्ताओं के अधिकार पूरी तरह संरक्षित हैं. प्राथमिकी दर्ज करने को चुनौती दिये जाने के मौके याचिकाकर्ता के पास बहुत होंगे.’ न्यायालय ने कहा, ‘हम इससे भी संतुष्ट हैं कि सीबीआइ को अपने दायित्व का निर्वाह करने दिया जा रहा है और आदेश में निकाले गये सभी निष्कर्ष या अनुमान जरूरी नहीं कि एजेंसी के निष्कर्षों की राह में आड़े आ जाएं.
पीठ ने कहा कि यदि मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सीबीआइ को और वक्त चाहिए तो वह उचित आवेदन के साथ उच्च न्यायालय का रुख कर सकती है. न्यायालय ने राज्य सरकार की अपील को तब ‘वापस’ लेने की इजाजत दी जब उसके वकील ने ऐसे आधार बताने के लिए ‘बिना शर्त माफी’ मांगी, जिनसे उच्च न्यायालय पर कथित तौर पर लांछन लगते हों. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शुभेंदू अधिकारी और सौगत रॉय की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वे एसआइटी या किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन सीबीआइ जांच नहीं करायी जानी चाहिए.
दोनांे वरिष्ठ वकीलों ने तृणमूल कांग्रेस और भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का हवाला दिया और कहा कि यहां तक कि उच्च न्यायालय गये याचिकाकर्ता भी भाजपा के नेता थे. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि रिकॉर्ड पर लायी गयी सामग्रियों का अध्ययन करने के बाद उच्च न्यायालय ने आदेश पारित किया और देश की प्रतिष्ठित एजेंसी पर शंका करना ‘अच्छा’ नहीं है.
क्या है मामला: पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले न्यूज पोर्टल नारद ने कुछ वीडियो क्लिप जारी किये थे, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के कुछ सांसद और राज्य सरकार के कई मंत्री कथित तौर पर कैमरे पर एक फर्जी कंपनी को मदद करने की एवज में रिश्वत लेते प्रतीत हुए थे. मामले की पुलिस जांच चल रही थी. लेकिन गत शुक्रवार को हाइकोर्ट ने तीन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीबीआइ को जांच का निर्देश दिया. अदालत ने केंद्रीय एजेंसी को 72 घंटे में प्राथमिक जांच पूरी करने और जरूरत पड़ने पर आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का निर्देश दिया. सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच शुरू कर दी है. इसी बीच, सीबीआइ जांच रोकने के लिए राज्य सरकार और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी, जहां उन्हें झटका लगा है. उधर, सीबीआइ को राहत मिल गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने उसे प्राथमिक जांच पूरी करने के लिए एक महीने का वक्त दे दिया है.
इन पर है आरोप: पूर्व रेल मंत्री व तृणमूल सांसद मुकुल राय, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, सांसद सुल्तान अहमद ,सांसद सौगत राय, सांसद व राज्य के मंत्री शुभेंदू अधिकारी, सांसद काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, मेयर शोभन चटर्जी, पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा, विधायक इकबाल अहमद, शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम, तृणमूल सांसद अपूर्व पोद्दार और तृणमूल के महासचिव शंकुदेव पांडा, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोहम्मद अहमद मिर्जा पर कथित तौर पर फर्जी कंपनी को मदद पहुंचाने की एवज में रिश्वत लेने का आरोप है.
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