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पूर्वोत्तर भारत में हाथियों की गिनती के लिए प्रशिक्षण

जलपाईगुड़ी/सिलीगुड़ी. पूर्वोत्तर भारत में आगामी 27 से 29 मार्च तक हाथियों की गिनती शुरू हो रही है. यह गिनती तीन अलग-अलग पद्धतियों से की जायेगी. मंगलवार को जलपाईगुड़ी के गोरूमारा वन्य प्राणी विभाग के धूपझोरा में हाथी गिनती की तैयारी के लिए स्वयंसेवी संगठनों और वनकर्मियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इसी तरह का […]

जलपाईगुड़ी/सिलीगुड़ी. पूर्वोत्तर भारत में आगामी 27 से 29 मार्च तक हाथियों की गिनती शुरू हो रही है. यह गिनती तीन अलग-अलग पद्धतियों से की जायेगी. मंगलवार को जलपाईगुड़ी के गोरूमारा वन्य प्राणी विभाग के धूपझोरा में हाथी गिनती की तैयारी के लिए स्वयंसेवी संगठनों और वनकर्मियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया. इसी तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम सिलीगुड़ी के पास स्थित सुकना वन कार्यालय में भी हुआ.

वन्य प्राणी विभाग की वनपाल सुमिता घटक ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत के अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, असम के साथ-साथ उत्तर बंगाल में भी हाथियों की गिनती शुरू होने जा रही है. इसके लिए तैयारी पहले ही पूरी हो चुकी थी, लेकिन असम के तैयारी में पीछे रहने के कारण गिनती में देरी हुई. पहले 21 से 23 मार्च तक गिनती होनी थी, जो अब 27 से 29 मार्च तक होगी.

उन्होंने बताया कि अक्तूबर महीने से ही हाथी गिनती की तैयारी की जा रही है. उत्तर बंगाल में भी इसी समय से हाथियों पर नजर रखने का काम चल रहा है. इसके तहत हाथियों के दल पर नजर रखी गयी. उनके मल को देखकर नोट किया गया. किस दल में कितने नर, कितने मादा और कितने शिशु हाथी हैं, इस बारे में भी नोट लिया गया है. यह सब आंकड़े हाथियों की अंतिम गणना के दौरान काम आयेंगे. उत्तर बंगाल के गोरूमारा, जलदापाड़ा, नेउड़ा वैली राष्ट्रीय पार्कों, महानंदा अभयारण्य, बैकुंठपुर वन विभाग, बक्सा बाघ वन आदि जंगलों में हाथियों की गिनती होगी.

वनपाल सुमिता घटक ने बताया कि हाथियों को सीधे देखकर, उनका मल देखकर और फिक्स्ड प्वाइंट पद्धति से हाथियों की गिनती की जा रही है. इस काम में 200 से ज्यादा गणना दल और 50 से ज्यादा कुनकी (प्रशिक्षित) हाथियों का इस्तेमाल किया जा रहा है. पैदल चलकर भी गिनती की जायेगी.

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